यूपी: सरकारी अस्पताल में पीडिता को न तो एंबुलेंस मिली और न ही डॉक्टर

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भारत भले ही हेल्थ टूरिज्म का सेंटर बनता जा रहा हो और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही हो। लेकिन सच यही है कि हमारे यहां स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमीं है, जिसे दूर किए बिना हम अन्य देशों से मुकाबला करने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। भारत के अलग-अगल राज्यों से हर रोज कोई न कोई ऐसी तस्वीर सामने आ ही जाती है, जिसे देखकर हमें शर्मसार होना पड़ता है।

photo- दैनिक जागरण

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 13 अप्रैल को राज्य के 75 जिलों के लिए 150 एडवांस एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार 15 मिनट से भी कम समय में मरीजों को एंबुलेंस सेवा प्रदान कराएगी। लेकिन ठीक इसके उलट यूपी के प्रतापगढ़ में शनिवार (3 जून) को भयंकर गर्मी में एक परिवार को दोहरी पीड़ा झेलनी पड़ी।

दैनिक जागरण की ख़बर के अनुसार, यूपी के प्रतापगढ़ में शनिवार (3 जून) को छात्रा ने गलती से जहरीला पदार्थ खा लिया। जहरीला पदार्थ खाने के बाद बच्ची को अस्पताल में लाया गया उनको वहां न तो एंबुलेंस मिली और न ही डॉक्टर।प्रतापगढ़ में जहरीला पदार्थ खाने के बाद पूजा 15 पुत्री छत्रपाल निवासी कुसौली थाना उदयपुर की हालत बिगड़ गई।

घर के लोग एंबुलेंस के लिए तमाम फोन करते रहे, लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। एक राज्य के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है। इसके बाद पूजा को यह लोग निजी वाहन से सांगीपुर सीएचसी पहुंचे वहां पर डॉक्टर मौजूद नहीं थे।

जब दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस खोजी गई तो वह भी नहीं मिली, इतना ही नही उन्हें पर एक भी स्ट्रेचर तक नहीं मिला। निजी वाहन से घर के लोग जब लालगंज पहुंचे तो वहां पूजा फर्श पर तड़पती रही, लेकिन यहां भी न एंबुलेंस थी अैर न ही डॉक्टर। मजबूर परिवार के लोग लड़की को गोद में उठाकर टेम्पो में लेकर प्रतापगढ़ भी पहुंचे, लेकिन वहां भी डाक्टर्स ने बालिका का इलाज नहीं किया।

स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोलती कुछ और ऐसी ही खबरें:

एम्बुलेंस नहीं मिलने से बांस-बल्ली के सहारे कंधे पर ले गए महिला का शव

वहीं, मध्यप्रदेश के सिधी जिले से 5 मई को मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई थी। जहां शव वाहन न मिलने के कारण मृतक के परिजनों को गुड़िया कोल (32) का शव अस्पताल से बल्ली के सहारे लगभग 3 किमी पैदल गांव तक ले जाना पड़ा।

एंबुलेस के लिए नहीं थे 400 रुपये इसलिए रेहड़ी पर पिता का शव ले जाने पर मजबूर हुआ बेटा

जबकि, पंजाब के जालंधर में अस्पताल से शव के लिए एंबुलेंस कथित रूप से उपलब्ध नहीं होने के बाद निजी वाहन से शव ले जाने के लिए 400 रूपए नहीं होने के कारण एक व्यक्ति को अपने पिता का शव घर ले जाने के लिए रेहड़ी का सहारा लेना पड़ा था। यह घटना 11 मई की है।

स्ट्रेचर नहीं मिला तो X-RAY के लिए पति को घसीटकर ले गई महिला

गौरतलब है कि, हाल ही में कर्नाटक के शिवमोग्गा के सरकारी अस्पताल में स्ट्रेचर नहीं मिलने की वजह से एक मजबूर पत्नी को अपने बीमार पति को घसीटते हुए एक्स-रे कराने के लिए लेकर जाना पड़ा। लेकिन यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि किसी एक सरकारी अस्पताल में कोई स्ट्रेचर उपलब्ध ना होना वह अपने आप में एक बहुत बड़ी कमी की और दिखाता है।

ओडिशा में पत्नी का शव उठाकर 12 किमी चलना पड़ा

देश और दुनिया को हिला देने वाली दाना मांझी की दर्दनाक कहानी को कैसे भूल सकते हैं। ओडिशा के कालाहांडी जिले के भवानीपटना में दाना मांझी नाम के व्यक्ति को अपनी पत्नी के शव को कंधे पर रखकर 12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था। जिस अस्पताल में महिला की मौत हुई थी, उस अस्पताल ने कथित तौर पर शव ले जाने के लिए एंबुलेंस मुहैया कराने से इनकार कर दिया था। व्यक्ति के साथ उसकी 12 वर्षीय बेटी भी थी।

बता दें कि स्वास्थ्य सुविधाओं और सेवाओं के मामले में भारत अन्य कई देशों से काफी पीछे है। स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में 195 देशों की सूची में भारत 154 वें स्थान पर है। देश में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की इस हालत की पुष्टि एक अध्ययन के परिणामों से हो जाती है।

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भारत बांग्लादेश, चीन, भूटान और श्रीलंका समेत अपने कई पड़ोसी देशों से पीछे है। हाल ही में मेडिकल जर्नल ‘द लैनसेट’ में प्रकाशित ‘ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज स्टडी’ के अनुसार स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी 195 देशों की सूची में भारत को 154वें स्थान मिला है।

 

 

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