उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 13 अप्रैल को राज्य के 75 जिलों के लिए 150 एडवांस एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की थी। जिसके बाद यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सोमवार (1 मई) को गायों के लिए एम्बुलेंस सेवा शुरू की। वहीं दूसरी तरफ राज्य की विडंबना देखिए कि इटावा में एक पिता को एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण उसे अपने 13 वर्षीय बेटे को कंधे पर लादकर लेकर जाना पड़ा। एक राज्य के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इटावा के विक्रमपुर का उदयवीर अपने 13 साल के बेटे पुष्पेंद्र का इलाज कराने के लिए जिला अस्पताल पहुंचा लेकिन डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उदयवीर ने आरोप लगाया कि, अस्पताल में डॉक्टरों ने उसके बेटे का इलाज नहीं किया, जिससे उसकी मौत हो गयी।
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Posted by जनता का रिपोर्टर on Tuesday, May 2, 2017
उदयवीर का कहना है कि वह दो बार अपने बेटे को अस्पताल लेकर आया था लेकिन डॉक्टर इलाज से टालते रहे। डॉक्टरों ने उसे बिना देखे ही मृत घोषित कर दिया और उसे अस्पताल से ले जाने के लिए कह दिया।
उसके बाद वह बेटे के शव को कंधे पर रखकर अस्पताल परिसर से बाहर निकल आया और एम्बुलेंस व शव वाहन के लिए चिल्लाता रहा लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। अस्पताल परिसर में एंबुलेंस भी मौजूद थीं लेकिन उस के बाद भी यह सुविधा नहीं मिली।
उदयवीर का गांव अस्पताल से सात किलोमीटर दूर था लेकिन बेटे को कंधे पर लाद कर वह गांव के लिए चल पड़ा। इसके बाद एक व्यक्ति की मदद से वह बाइक से शव लेकर गांव गए। उसी वक्त किसी ने अपने फोन से उनका वीडियो बना लिया।
मीडियों में ख़बर आने के बाद, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इस मामले में जांच होगी और जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं डॉ. अशोक पालीवाल का कहना है कि, डॉक्टर ने बच्चे को देखा था वह पहले ही मर चुका था। इसके बाद पिता उसको लेकर चला गया उसने किसी से एम्बुलेंस या शव वाहन के लिए नहीं कहा।