CVC का फैसला: नोटबंदी के बाद कैश जमा कराने वाले केंद्रीय कर्मचारियों की होगी जांच

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केंद्रीय सतर्कता आयोग(सीवीसी) नोटबंदी के दौरान केंद्र सरकार के कर्मचारियों द्वारा जमा कराये गये नोटों की जांच करेगा। सीवीसी के प्रमुख केवी चौधरी ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आयोग ने आयकर अधिकारियों से इस संबंध में जानकारी मांगी हैं।

भाषा की ख़बर के मुताबिक, उन्होंने कहा, हमने पहले ही केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से आंकड़े मांगा है। हमें और प्रसंस्कृत आंकड़े मिलेंगे और उसके आधार पर हम आगे बढ़ेंगे। चौधरी ने कहा कि वह इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के संबंध में कर प्राधिकरणों से बातचीत कर चुके हैं। देश भर में नकदी जमा करने संबंधी हुई लेनदेन की संख्या काफी अधिक होने के कारण उन्होंने कर प्राधिकरणों से इस बात पर चर्चा की कि इसे कैसे आगे बढ़ाया जाए।

साथ ही उन्होंने कहा, हम यह कैसे पता करेंगे कि केंद्रीय कर्मचारियों द्वारा जमा कराया गया नकद उनकी आय के अनुकूल है या नहीं। सीबीडीटी पहले ही यह काम हर किसी के लिए कर रहा है भले ही वह केंद्रीय कर्मचारी हो या नहीं। हमने सीबीडीटी की मदद ली है, हमें अभी आंकड़े मिलने शेष हैं।

सीवीसी को जमा के संबंध में सीबीडीटी से और सटीक आंकड़े मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि, हमने उनके साथ कई बार बातचीत की है कि हमें किस तरह का आकलन करना चाहिए। वे हमारे साथ सहयोग कर रहे हैं, उन्होंने हमें काफी सारे तरीके बताये हैं।

चौधरी ने कहा कि सीबीडीटी द्वारा उठाये जा रहे कदम में कार्यक्रम तैयार करने, उन्हें लागू करने और उनसे सही परिणाम निकालने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सीवीसी आयोग के न्यायाधिकार के अंतर्गत आने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों तथा सार्वजनिक कंपनियों के कर्मचारियों के मामलों की जांच करेगा।

सीवीसी ने अपने न्यायाधिकार में कर्मचारियों की श्रेणियों विशेषकर ग्रुप ए और ग्रुप बी के अधिकारियों को चुना है। आगे चौधरी ने कहा कि, वैसे लोग जो आयोग के न्यायाधिकार में नहीं आते हों पर उनके द्वारा जमा की गयी राशि सीमा से अधिक हो तो ऐसे मामलों को हम अपने मुख्य जांच अधिकारियों को सौंप देंगे ताकि वह आवश्यक कदम उठा सकें।

कर्मचारियों के बैंक खातों की जांच करने के प्रस्ताव के कारणों के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने कहा कि इनमें कुछ गलत जमा भी हो सकते हैं लेकिन विशिष्ट लोगों और उनके संस्थान के बारे में अभी जानकारी नहीं है।

सीबीडीटी विभिन्न लोगों द्वारा विशेषकर नोटबंदी के दौरान संदिग्ध राशि जमा कराने के मामलों को देख रहा है। उन्होंने आगे कहा, हम नकल नहीं कर रहे हैं। इसीलिये हमें सीबीडीटी से प्रसंस्कृत आंकड़े मिल रहे हैं। इसी कारण हमने उन्हें कहा कि वे इस पर काम करते रहें। इसीलिये वे इन कर्मचारियों की जानकारियां हमारे साथ साझा करते हैं।

सीवीसी के न्यायाधिकार में आने वाले लोगों के संबंध में आयोग को वित्तीय सतर्कता इकाई से संदिग्ध लेन देन की रिपोर्ट मिली है। उल्लेखनीय है कि दस लाख रुपये या इससे अधिक के वैसे लेन-देन जिनका संबंध अपराध या काला धन से होने के संकेत मिलते हैं, संदिग्ध लेन देन कहे जाते हैं।

बता दें, पीएम मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को देश में नोटबंदी लागू करने का फैसला लिया था, जिसके बाद से 500 और 1000 रुपए के नोट अमान्य कर दिए गए थे। नोटबंदी के बाद सरकार ने देशवासियों को 500 और 1000 रुपए के नोटों को बैंकों में जमा करवाने के लिए एक निश्चित समय दिया था।

सरकार ने नोटबंदी की घोषणा के बाद कहा था कि इसका मकसद ब्लैक मनी पर लगाम लगाना और आतंकवादियों की फंडिंग रोकना है।

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