जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के छात्र नेता मीरन हैदर और जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी (जेसीसी) के मीडिया कॉर्डिनेटर सफूरा जारगर की गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उन पर गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत केस दर्ज किया है। उन पर फरवरी महीने में दिल्ली के उत्तर-पूर्व इलाके में दंगों की साजिश रचने के आरोप हैं। इनके साथ ही पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद और दिल्ली के भजनपुरा इलाके के स्थानीय नागरिक दानिश के खिलाफ भी UAPA लगाया है।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हैदर के वकील अकरम खान ने पुष्टि की है कि पुलिस ने उनके क्लाइंट और अन्य के खिलाफ एफआईआर में यूएपीए को शामिल किया है। उन्होंने कहा कि आरोपियों पर शुरू में आईपीसी की धारा 147, 148, 149 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया गया था। बाद में पुलिस ने धारा 124A (राजद्रोह), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), और 153A (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) को जोड़ा है।
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जाफराबाद इलाके में फरवरी में हुए प्रदर्शनों के सिलसिले में पुलिस ने हाल ही में सफूरा जरगर को गिरफ्तार किया था। जामिया मिल्लिया इस्लामिया में एमफिल के छात्र सफूरा जरगर पर आरोप है कि उसने प्रदर्शनों के दौरान जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास अवरोध पैदा करने की कोशिश की थी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वकील अकरम खान कहा कि उन्होंने हैदर के लिए जमानत याचिका दायर की थी, जिसपर सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। उन्होंने कहा, “लेकिन जब हमें सूचित किया गया कि हैदर के खिलाफ यूएपीए के आरोप लगाए गए हैं, तो हमने जमानत की अर्जी वापस ले ली है और इसे बाद में एक चरण में दायर करेंगे।”
उन्होंने कहा कि हैदर वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है। जरगर भी न्यायिक हिरासत में है। दोनों को कथित तौर पर फरवरी में सांप्रदायिक दंगों को भड़काने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जरगर जामिया कोऑर्डिनेशन समिति का मीडिया कोऑर्डिनेटर है जबकि हैदर इस समिति का सदस्य है।
गौरतलब है कि, फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी जिसमें आईबी अधिकारी अंकित शर्मा और हेड कांस्टेबल रतन लाल सहित कम से कम 53 लोग मारे गए थे। जबकि इस हिंसा में कई अन्य घायल हुए थे। राजधानी दिल्ली में चार दिनों तक जारी रही हिंसा में 200 से अधिक लोग घायल हो गए, इनमें 11 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।