अपनी टिप्पणियों को लेकर अक्सर सुखिर्यों में रहने वाले केन्द्र में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिये जासूसी के मामले को लेकर जारी विवाद के बीच एक बार फिर से अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए है। स्वामी ने कहा कि पेगासस स्पाइवेयर एक कमर्शियल कंपनी है जो पेड कॉन्ट्रैक्ट्स पर काम करती है। ऐसे में भारतीय “ऑपरेशन” को अंजाम देने के लिए अगर केंद्र नहीं तो किसने उस कंपनी को पैसे दिए थे?
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने मंगलवार को अपने ट्वीट में लिखा, “यह बिल्कुल स्पष्ट है कि Pegasus Spyware एक कमर्शियल कंपनी है जो पेड कॉन्ट्रैक्ट्स पर काम करती है। इसलिए अपरिहार्य प्रश्न उठता है कि भारतीय “ऑपरेशन” के लिए उन्हें किसने भुगतान किया। भारत सरकार ने अगर नहीं किया तो किसने किया? भारत के लोगों को बताना मोदी सरकार का कर्तव्य है।”
It is quite clear that Pegasus Spyware is a commercial company which works on paid contracts. So the inevitable question arises on who paid them for the Indian "operation". If it is not Govt of India, then who? It is the Modi government's duty to tell the people of India
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 19, 2021
बता दें कि, पेगासस स्पाइवेयर मामले को लेकर स्वामी लगातार अपनी ही सरकार पर हमलवार हैं। इससे पहले उन्होंने एक ट्वीट कर कहा था कि गृह मंत्री को संसद में बताना चाहिए कि सरकार का उस इजरायली कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है, जिसने हमारे टेलीफोन टैप टेप किए हैं। नहीं तो वाटरगेट की तरह सच्चाई सामने आएगी और हलाल के रास्ते भाजपा को नुकसान पहुंचाएगी।
इधर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने दुनिया भर में पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों, राजनेताओं की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर के उपयोग को ”बेहद चिंताजनक” बताते हुए सोमवार को सरकारों से उनकी उन निगरानी तकनीकों पर तत्काल लगाम लगाने का आह्वान किया, जिनसे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता हो।
दरअसल, कई मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन ने खुलासा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजरायली निगरानी कंपनी एनएसओ ग्रुप के पीगैसस सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हो सकता है कि हैक किए गए हों।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लीक आंकडों में बड़े मीडिया संगठनों हिंदुस्तान टाइम्स, इंडिया टुडे, नेटवर्क 18, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस के अनेक जाने माने पत्रकार के नंबर शामिल हैं। हालांकि, यह रिपोर्ट सामने आने के बाद सरकार ने अपने स्तर पर खास लोगों की निगरानी संबंधी आरोपों को खारिज किया है। सरकार ने कहा,‘‘इसका कोई ठोस आधार नहीं है या इससे जुड़ी कोई सच्चाई नहीं है।’’
सरकार ने मीडिया रिपोर्टों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘भारत एक मजबूत लोकतंत्र है और वह अपने सभी नागरिकों के निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही सरकार ने ‘‘जांचकर्ता, अभियोजक और ज्यूरी की भूमिका’’ निभाने के प्रयास संबंधी मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर दिया।