बिहार में महागठबंधन खत्म हो गया है, बुधवार(26 जुलाई) की शाम को नीतीश कुमार ने राज्यपाल से मुलाकात कर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। बिहार में वर्ष 2015 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आए महागठबंधन का सफर करीब दो साल के बाद थम गया है। महागठबंधन की सरकार से इस्तीफे के तुरंत बाद ही नीतीश कुमार को बीजेपी का साथ मिल गया और नीतीश ने गुरुवार(27 जुलाई) को दोबारा से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
इस्तीफा देने के बाद नीतीश ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि, अंतर आत्मा की आवाज पर इस्तीफा दिया। अब काम करने का माहौल नहीं रह गया था। साथ ही उन्होंने गठबंधन और इस्तीफे का ठीकरा लालू प्रसाद पर फोड़ते हुए कहा, हमने कोशिश की। उनसे आरोपों पर जनता के बीच सफाई देने को कहा। जितना संभव हुआ गठबंधन बनाए रखने की कोशिश की। हमने गठबंधन धर्म का पालन किया और 20 महीने तक गठबंधन और सरकार चलाई।
साथ ही उन्होंने कहा कि, मैंने दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी। क्योंकि मुझे पता है कि वह भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। नीतीश ने कहा कि राहुल ने खुद उस अध्यादेश को फाड़ दिया था, जो भ्रष्ट नेताओं को सुरक्षा प्रदान करती थी। लेकिन यहां(बिहार) वह चुप रहे और कुछ भी नहीं कहा। उन्होंने कहा कि राहुल के अलावा बिहार में भी कांग्रेस के नेताओं और प्रभारियों से हमने बात की लेकिन बिहार के हित में कुछ नहीं हो पाया।
पिछले कई दिनों से जेडीयू और आरजेडी के बीच भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी के इस्तीफे को लेकर गतिरोध जारी था। उन्होंने कहा, मैंने इसे सुलझाने की कोशिश की मैंने किसी से इस्तीफे के लिए नहीं कहा, मैंने केवल तेजस्वी से भ्रष्टाचार के आरोपों पर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा था।
नीतीश के इस फैसले से जहां महागठबंधन के सहयोगी दल आरजेडी और कांग्रेस हैरान है, वहीं राज्य में अगले कुछ दिनों के लिए सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। गठबंधन से दूर जाने का फैसला पिछले महीने ही ले लिया गया था जब नीतीश कुमार की पार्टी ने भाजपा के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार राम नाथ कोविन्द का समर्थन किया था। नीतीश कुमार ने व्यक्तिगत रूप से नवंबर के बाद से भाजपा के लिए गर्मजोशी शुरू कर दी थी जब उन्होंने खुले तौर पर नौटबंदी का समर्थन किया था।
नीतीश ने बुधवार(26 जुलाई) को सभी को आश्चर्यचकित कर दिया जब उन्होंने 29 जुलाई की जगह 26 जुलाई को ही अपने विधायकों की अनुसूचित बैठक बुलाई। वहीं दूसरी और राष्ट्रीय जनता दल(RJD) प्रमुख लालू यादव ने नीतीश के राजनीतिक षड्यंत्र को देखते हुए निर्धारित समय से तीन दिन पहले ही बुधवार को दोपहर अपने विधायकों की एक आपात बैठक बुलाई।
वहीं लालू ने नीतीश को यह याद दिलाया कि वह किस तरह से उन्होंने उनको मुख्यमंत्री बनाया था। हालांकि, नीतीश की पार्टी ने पहले ही भाजपा में लौटने का मन बना लिया था, लेकिन लालू की टिप्पणी ने उन्हें याद दिलाया कि पूर्व पार्टी ने उन्हें कैसे मुख्यमंत्री बना दिया था।
एक जेडीयू के सूत्रों ने ‘जनता का रिपोर्टर’ को बताया कि लालू की टिप्पणी सार्वजनिक होने के तुरंत बाद ही नीतीश कुमार ने बिना देर किए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात किया।
साथ ही सूत्रों ने बताया कि इसके बाद सब कुछ एक मात्र औपचारिकता थी, नीतीश कुमार बहुत अहंकारी व्यक्ति के रुप में जाने जाते है। जो कुछ भी करो, लेकिन आप अपने अहंकार को कभी चोट नहीं पहुंचना चाहिए। लालू की टिप्पणी ने उन्हें जल्द से जल्द फैसला लेने के लिए मजबूर कर दिया।
महागठबंधन टूटने के बाद एक नई सरकार बनाने के लिए बीजेपी ने फौरन ही नीतीश कुमार से संपर्क किया। यह भी किसी संयोग से कम नहीं है कि, बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी जिन के पास इस वक्त बिहार के राज्यपाल का भी अतिरिक्त प्रभार है और वो बुधवार कि रात को पटना में ही थे।
बीजेपी को कवर करने वाले कुछ पत्रकारों ने ‘जनता का रिपोर्टर’ को बताया कि रवि शंकर प्रसाद जैसे वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें बुधवार को एक संक्षिप्त सूचना देने के लिए स्टैंडबाय पर रखा था। यह जाहिर था कि भारतीय राजनीति में कुछ बड़ा होने की संभावना है।
वहीं आरजेडी के एक सूत्र ने कहा कि महागठबंधन के लिए खतरा महसूस होने पर लालू ने अपने दोनों बेटों को मंत्रिमंडल से हटाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था, लेकिन उनकी पत्नी राबड़ी देवी अविचल थीं। जिन्होंने कहा था कि उनके बेटे किसी भी कीमत पर इस्तीफा नहीं देंगे।
नीतीश कुमार के इस्तीफा देने के तुरंत बाद ही भाजपा विधायकों के समूह ने देर रात नीतीश के घर पर जाकर उनसे मुलाकात की। वहीं नीतीश कुमार अपने पूर्व राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के साथ बातचीत करते हुए असामान्य रूप से अच्छे मूड में दिख रहे थे।
The real Modi on display-brazen attempt to add communal texture to Bihar polls,but deafening silence on deplorable incidence of Dadri (1/2)
— Nitish Kumar (@NitishKumar) October 8, 2015
वहीं दूसरी और महागठबंधन खत्म होने के बाद गुरुवार(27 जुलाई) को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए उन पर जमकर हमला बोला।