दक्षिणी दिल्ली में सरकारी आवास बनाने के लिए करीब 17 हजार पेड़ जाने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार(25 जून) को रोक लगा दी। नेशनल बिल्डिंग्स कन्स्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (इंडिया) लिमिटेड ने सोमवार(25 जून) को दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि दक्षिण दिल्ली में कालोनियों के विकास के क्रम में वह चार जुलाई तक किसी पेड़ की कटाई नहीं करेगा।
समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति विनोद गोयल और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की अवकाशकालीन पीठ ने जब कहा कि वह पेड़ों की कटाई पर अंतरिम रोक लगा देंगी तो नेशनल बिल्डिंग्स कन्स्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (इंडिया) लिमिटेड (एनबीसीसी) ने चार जुलाई तक पेड़ नहीं काटने का उसे आश्वासन दिया।
हाई कोर्ट ने दक्षिण दिल्ली की छह कालोनियों के पुन: विकास के क्रम में एनबीसीसी और सीपीडब्ल्यूडी द्वारा पेड़ों की कटाई के लिये केन्द्र से मिली मंजूरी को स्थगित रखने से 22 जून को इनकार कर दिया था। हड्डियों के एक सर्जन डा कौशल मिश्र ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका में कहा था कि इस क्रम में 16,500 से ज्यादा पेड़ों को काटना पड़ेगा।
याचिका में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा परियोजना के लिये दी गयी पर्यावरण मंजूरी और कार्य शर्तो को निरस्त करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है, जिन कालोनियों में पेड़ों की कटाई होगी वे हैं … सरोजनी नगर, नौरोजी नगर, नेताजी नगर, त्यागराज नगर, मोहम्मदपुर और कस्तुरबा नगर।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिणी दिल्ली की सात बड़ी आवासीय परियोजनाओं के चलते यहां के करीब 17 हजार पेड़ों को काटने की बात चल रही है सबसे ज्यादा पेड़ सरोजिनी नगर में काटे जाएंगे। वन विभाग के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया था कि नौरोजी नगर, नेताजी नगर और सरोजिनी नगर समेत विभिन्न इलाकों में पेड़ काटे जाएंगे। अधिकारी ने बताया कि केवल सरोजिनी नगर में ही करीब 11 हजार पेड़ काटे जाएंगे।
बता दें कि, दक्षिणी दिल्ली में पेड़ों को काटने का विरोध सड़क से लेकर सोशल मीडिया पर हो रहा था। इस मामले में राजनीतिक बहसबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। इस समय पूरी दुनिया पर्यावरणीय असंतुलन से जुझ रहा है और जिस वजह से विश्वभर में लोग पेड़ लगाने के लिए तमाम प्रयास कर रहे हैं। इतना ही नहीं, लोगों को पेड़ लगाने के लिए जागरुक करने के लिए जगह जगह पर कैम्पेन भी चलाए जा रहें है।