कर्नाटक और उत्तर प्रदेश व बिहार सहित देश के कई राज्यों में पिछले दिनों मिली हार बाद केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने सहयोगियों को मनाने के लिए इन दिनों जद्दोजहद कर रही है। दरअसल, एकजुट विपक्ष के कारण मिली हार के बाद बीजेपी के सामने अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए के अपने सहयोगियों को साथ जोड़े रखना बड़ी चुनौती है।
जम्मू-कश्मीर में सरकार गिराने के बाद अब इस बात की हलचल तेज हो गई है कि बीजेपी बिहार में भी जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार गिरा सकती है। हालांकि नीतीश कुमार राजनीतिक के पुराने खिलाड़ी रह चुके हैं, जिस वजह से वह बीजेपी से पहले ही सतर्क हो गए हैं। नीतीश कुमार के पार्टी के नेताओं के ताजा बयानों पर नजर डालें तो इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि जेडीयू पहले ही बीजेपी का साथ छोड़ सकती है।
जेडीयू ने साथ ही इशारों-इशारों में बीजेपी को चेतावनी दे डाली कि 2014 और 2019 के माहौल में काफी फर्क है। जेडीयू नेता संजय सिंह ने कहा है कि बिहार में बीजेपी के जो नेता हेडलाइंस बनना चाहते हैं, उन्हें नियंत्रण में रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2014 और 2019 के बहुत अंतर है। उन्होंने कहा कि बीजेपी को पता है कि वह बिहार में बिना नीतीश कुमार के साथ चुनाव जीतने में सक्षम नहीं होगी।
जेडीयू नेता संजय सिंह ने सोमवार को कहा, ‘2019 में बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बिना बीजेपी का जीतना मुश्किल है।’ यहीं नहीं उन्होंने राज्य के बीजेपी नेताओं को ‘कंट्रोल’ में रहने की हिदायत भी दी है। संजय सिंह ने कहा, ‘हेडलाइंस देने की चाहत रखने वाले राज्य के बीजेपी नेताओं को कंट्रोल में रहना चाहिए। 2014 और 2019 में काफी अंतर है। बीजेपी भी जानती है कि वह नीतीश जी के बिना जीतने में सक्षम नहीं है। अगर बीजेपी को सहयोगी दलों की जरूरत नहीं है तो वह बिहार की सभी 40 सीटों पर लड़ने के लिए आजाद हैं।’
State BJP leaders who want to make headlines should be kept under control. There is a lot of difference between 2014 & 2019. BJP knows without Nitish ji it will not be able to win. If BJP does not need allies they are free to fight on all 40 seats in Bihar: Sanjay Singh, JDU pic.twitter.com/NbJ4QJcL6i
— ANI (@ANI) June 25, 2018
‘तेजस्वी होंगे CM पद का चेहरा’
इस बीच कभी नीतीश के बेहद करीबी रहे और फिर बाद में सियासी ‘दुश्मन’ बने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार को सशर्त महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि अगर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री का पद छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो जाते हैं तो तेजस्वी यादव 2020 में सीएम पद का चेहरा हो सकते हैं। मांझी ने कहा कि अगर नीतीश कुमार सीएम सीट देते हैं और महागठबंधन से जुड़ते हैं, तो मुझे लगता है कि तेजस्वी प्रसाद जी 2020 के बिहार चुनाव में हमारे लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे।
If Nitish Kumar gives up CM seat and joins 'mahagathbandhan', then I think Tejashvi Prasad ji will be our CM face for 2020 Bihar elections: Jitan Ram Manjhi, Hindustani Awam Morcha on Bihar assembly elections pic.twitter.com/lD8aAMgfSm
— ANI (@ANI) June 25, 2018
जेडीयू ने एनडीए के सामने रखा 2015 का फॉर्मूला
वहीं, बिहार में 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए में सीटों के बंटवारे पर बात उलझती दिख रही है। उसका प्रस्ताव है कि गठबंधन में शामिल चारों पार्टियों (भारतीय जनता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी, जेडीयू और आरएलएसपी) को 2015 के विधानसभा में प्रदर्शन के आधार पर सीटें दी जाएं। दरअसल, समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक ऐसा होने पर सबसे ज्यादा फायदा जेडीयू को होना है, क्योंकि उसका प्रदर्शन 2015 के चुनाव में सबसे अच्छा रहा था। जेडीयू का तर्क है कि 2015 का विधानसभा चुनाव राज्य में सबसे ताजा शक्ति परीक्षण था और आम चुनावों के लिए सीट बंटवारे में इसके नतीजों की अनदेखी नहीं की जा सकती है।
हालांकि, जेडीयू की इस मांग पर बीजेपी, राम विलास पासवान की एलजेपी या फिर उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी का मानना लगभग असंभव है। अब भी इन चारों पार्टियों के बीच बिहार की 40 सीटों के बंटवारों को लेकर औपचारिक चर्चा होनी बाकी है। हाल में जेडीयू की ओर से साफ कहा गया था कि बिहार में एनडीए के नेता नीतीश होंगे और पार्टी ने 25 सीटों पर दावा जताया था। जेडीयू नेताओं का कहना है कि बीजेपी को सीट शेयरिंग के मामले पर जल्द से जल्द समझौते के लिए नेतृत्व करना चाहिए, जिससे चुनाव के समय कोई मतभेद या दिक्कत उत्पन्न न हो।
आपको बता दें कि 2015 के विधानसभा चुनाव में कुल 243 सीटों में से जेडीयू को 71, बीजेपी को 53, एलजेपी और आरएलएसपी को दो-दो सीटें मिलीं थीं। उस समय राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और जेडीयू का गठबंधन था और दोनों ने मिलकर सरकार बना ली थी। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 22, एलजेपी को छह और आरएलएसपी को तीन सीटें मिलीं थीं। इससे पहले 2013 तक जेडीयू-बीजेपी गठबंधन में हमेशा जेडीयू ही आगे रहती थी और ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ती थी, जिसमें जेडीयू को 25 तो बीजेपी को 15 सीटें मिलती थीं लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली सफलता ने समीकरण बदलकर रख दिए।अब ज्यादा से ज्यादा सीटें लेने के लिए जेडीयू तमाम हथकंडे अपना रही है।