सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड का मामला 9 जजों की बेंच को सौंपा

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देश में आधार कार्ड से जुड़ा मुद्दा कम होने के नाम ही नही ले रहा है। क्या आधार राइट टू प्राइवेसी के अधिकार का उल्लंघन करता है? आधार कार्ड से जुड़े सभी मुद्दों पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब 9 जजों की बेंच तय करेगी कि आधार को पैन लिंक करने से किसी की प्राइवेसी को खतरा है या नहीं

मीडिया रिपोर्ट के मुतबिक, आधार के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ सुनवाई की। उच्चतम न्यायालय ने आधार कार्ड के मामले की सुनवाई करते हुए मंगलवार(18 जुलाई) को इस केस को 9 सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेज दिया है। अब दो दिनों तक यह पीठ लगातार मामले से जुड़े सभी पक्षों की बात सुनेगी।

गौरतलब है कि, इससे पहले 7 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच कहा था कि आधार से जुड़े जितने भी मुद्दे आ रहे हैं, उनका फैसला 9 जजों की बेंच ही कर सकती है। बेंच की अगुआई कर रहे जस्टिस जे. चेलामेश्वर ने साफ किया था कि जजों की संख्या का फैसला चीफ जस्टिस ही करेंगे। पिछले महीने सोशल वेलफेयर स्कीम्स के लिए आधार जरूरी किए जाने के मामले में भी दो जजों की बेंच ने फैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया था।

ख़बरों के मुताबिक, पांच जजों की बेंच ने आज सुनवाई करते हुए कहा कि जरूरी है यह तय हो कि क्या संविधान के तहत निजता का अधिकार है या नहीं, इसलिए इस मामले को नौ सदस्यों वाली पीठ के पास भेजा जाना चाहिए।

यह इसलिए करना पड़ा क्योंकि 1954 में 8 जजों की बेंच ने और 1962 में 6 जजों की बेंच यह फैसला सुना चुकी है कि निजता का अधिकार नहीं होता। इसलिए इस मामले में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि 9 जजों की बेंच का गठन होना चाहिए।

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