पश्चिम बंगाल में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और टीमसी मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहीं हैं। राजनीतिक दलों की ताकत की आजमाइश के बीच जनता के मूड को भी भांप पाना मुश्किल है। कुछ दिनों पहले ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अपने घर पर मेहमाननवाजी कर सुर्खियों में आए लोकगायक बासुदेव दास बाउल मंगलवार को सीएम ममता बनर्जी के मंच पर नजर आए।
बीरभूम में मंगलवार (29 दिसंबर) को सीएम ममता बनर्जी के मंच पर आए बासुदेव ने भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम पर आधारित बांग्ला लोकगीत ‘तोमे ह्रदय माझरे राखबो, छेरे देबो ना’ गाया। बता दें कि, ठीक 10 दिन पहले ही अमित शाह इन्हीं बासुदेव के घर पर गए थे और भोजन किया था। तब अमित शाह दो दिन के बंगाल दौरे पर थे और 20 दिसंबर को वे दोपहर का खाना खाने के लिए बासुदेव बाउल के घर में गए थे। उस समय भी बाउल संप्रदाय के इस गायक ने यही लोकगीत गाया था।
बासुदेव को ममता ने मंच पर अहम स्थान दिया और उन्हें वस्त्र भी भेंट किया। लोकगायक ने अपने इस नए राग से सबको हैरत में डाल दिया है। पहले अमित शाह की मेहमाननवाजी और फिर बाद में सीएम ममता की तारीफों के पुल बांधते बासुदेव की ‘राजनीतिक धुन’ पश्चिम बंगाल में चर्चा का विषय बन गई है। वासुदेव बाउल के इस कदम पर मिली जुली प्रतिक्रियायें सामने आ रही हैं। अब सवाल ये उठता है कि पश्चिम बंगाल के चुनावी मौसम में बासुदेव बाउल अपने दिल में किसको रखेंगे?
ममता की तारीफ करते हुए बासुदेव ने कहा कि दीदी से हम सब प्यार करते हैं। उन्होंने बुलाया, इसलिए हम यहां चले आए। हालांकि, भाजपा का कहना है कि सत्तारूढ़ टीएमसी ने दबाव बनाकर बासुदेव को मंच पर बुलाया। पहले शाह और फिर ममता के सामने बासुदेव ने जो गीत गाया, उसका मतलब है- ‘मैं तुम्हें अपने दिल में रखूंगा, छोड़ूंगा नहीं।’
Bauls are the perfect reflection of our rich and versatile Bengali culture, best known for their songs and poems to God who dwells within.
Thank you Basudeb Das ji for your incredible hospitality, I am truly mesmerised. pic.twitter.com/ofc6gLZPgG
— Amit Shah (@AmitShah) December 20, 2020