सहारनपुर में जातीय हिंसा जारी, एक और युवक को मारी गोली, डीएम-एसएसपी हटाए गए

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उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जातीय हिंसा थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिले में दो समुदायों के बीच हिंसा अभी जारी है।मंगलवार(23 मई) को हुई हिंसक घटनाओं के बाद आज(24 मई) फिर सुबह थाना बडगांव के अन्तर्गत ग्राम मिर्जापुर में ईंट भट्टे पर सो रहे दो लोगों पर हमला कर दिया, जिससे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए पूरे इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। इस हिंसा में अब तक 24 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

फोटो: NDTV

पुलिस सूत्रों ने बताया कि तडके भट्टे पर सो रहे एक ही जाति के नितिन और यशपाल को बडगांव के पास गोली मारकर घायल कर दिया गया, जबकि दूसरे से मारपीट की गई। पुलिस ने बताया कि इस घटना को सहारनपुर की हिंसक की घटनाओं से जोडकर देखा जा रहा है, जबकि इस घटना का पूर्ववत घटना से कोई वास्ता नहीं है।

एक अन्य घटना के बारे में पुलिस ने बताया कि आज(24 मई) दोपहर एक बजे युवक प्रदीप अपनी बाइक पर सवार होकर जनता रोड़ से गुजर रहा था तभी पुवारका ब्लाक के निकट बाइक पर सवार होकर आए अज्ञात बदमाशों ने उस पर तमंचे से फायर किये और फरार हो गये। उन्होंने बताया कि प्रदीप का इलाज चल रहा है।

इस बीच राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए हिंसा पर नियंत्रण पाने में असफल रहे डीएम एनपी सिंह, एसएसपी एससी दुबे, एसडीएम और सीओ को उनके पद से हटा दिया है। खबरों की मानें तो सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में डीजीपी को भी कड़ी फटकार लगाई है।

बता दें कि इससे पहले मंगलवार को शब्बीरपुर में बहुजन समाज पार्टी(बीएसपी) सुप्रीमो मायावती का कार्यक्रम शुरू होने से पहले और फिर खत्म होने के बाद यह जिला एक बार फिर जातीय हिंसा की चपेट में आ गया। इस दौरान दलितों और राजपूतों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें सात लोग घायल हो गए हैं, जिनमें से बाद में आशीष नाम के एक व्यक्ति की मौत हो गई।

मायावती ने मंगलवार को सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव का दौरा किया, इसी गांव में पिछले दिनों दलित समाज के लोगों के घर जलाए गए थे। योगी सरकार ने सरकार ने हिंसा में मारे गए आशीष के परिजनों को 15 लाख और सभी घायलों को 50 हज़ार रुपये देने की घोषणा की है। बता दें कि पिछले तीन हफ्तों में सहारनपुर में हिंसा की यह चौथी घटना है।

सुलगते सहारनपुर की क्या है पूरी मामला?

बता दें कि सहारनपुर में पहला दंगा 20 अप्रैल को हुआ था। तब सहारनपुर से बीजेपी के एमपी राघव लखनपाल आंबेडकर जयंती का जुलूस बिना इजाजत निकाल रहे थे। उसमें हिंसा भड़क गई थी। जिसके बाद जिले के शब्बीरपुर गांव में महाराजा प्रताप जयंती के अवसर पर डीजे बजाने को लेकर ठाकुरों(राजपूत) और दलित समाज में 5 मई 2017 को बड़ा संघर्ष हुआ।

दलितों ने कथित तौर पर गांव से शोभायात्रा निकालने का विरोध किया और शोभायात्रा पर पथराव कर दिया। इस दौरान एक राजपूत युवक की मौत हो गई। शोभायात्रा पर पथराव की सूचना आसपास के गांवों के ठाकुर समाज के लोग भी वहां पहुंच गए। दोनों ओर से पथराव के साथ-साथ फायरिंग और तोड़फोड़ शुरू हो गई। इसके बाद शब्बीरपुल गांव के दलितों के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई।इस दौरान दलितों के 60 से ज्यादा मकान जला दिए गए थे और कई वाहन फूंक दिए थे। इसके बाद दलितों की भीम आर्मी की तरफ से इस घटना का विरोध किया गया था। वहीं, पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए 9 मई 2017 को सहारनपुर में इकट्ठा हुए दलितों का पुलिस से संघर्ष हो गया था। इस दौरान सहारनपुर में नौ जगहों पर हिंसा हुई।

इस मामले में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को नामजद किया गया। जिसके विरोध में 21 मई को हजारों दलितों ने दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। वहीं, 23 मई को एक बार फिर मायावती के दौरे के बाद दलितों और ठाकुरों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें सात लोग घायल हो गए हैं, जिनमें से बाद में एक व्यक्ति की मौत हो गई।

 

 

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