उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जानवरों को कानूनी तौर पर व्यक्ति घोषित किया

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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में जानवरों को कानूनी तौर पर व्यक्ति या इकाई का दर्जा देने की घोषणा की है। कोर्ट ने कहा कि, जिंदा इंसानों की तर्ज पर उनके पास भी अधिकार, कर्तव्य और उत्तरदायित्व होते हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा, जानवरों की भी एक अलग शख्सियत होती है। विधिक व्यक्ति का दर्जा देते हुए उन्हें मनुष्य की तरह अधिकार, कर्तव्य और जिम्मेदारियां देते हुए उत्तराखंड के लोगों को उनका संरक्षक घोषित किया है।

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समाचार एजेंसी PTI के हवाले से एक न्यूज़ वेबसाइट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने चंपावत जिले के बनबसा क्षेत्र में नेपाल से आने-जाने वाली घोडागाडी के आवागमन को सीमित करने के संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जानवरों के कल्याण के लिए निर्देश दिये।

याचिका में यह भी प्रार्थना की गयी थी कि नेपाल से भारतीय क्षेत्र में घुसने से पूर्व घोडों में संदिग्ध संक्रमण की पहचान के लिए उनका टीकाकरण और चिकित्सकीय परीक्षण तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में यातायात को नियमित करने का प्रावधान भी होना चाहिए। जानवरों के खिलाफ क्रूरता से बचाव के लिए न्यायालय ने विभिन्न जानवरों द्वारा खींची जाने वाली गाडी के अनुसार उनमें लादे जाने वाले भार तथा बैठने वाले व्यक्तियों के संबंध में भी निर्देश दिये।

जानवरों पर नोकदार छड या तेज चुभने वाली रस्सी या ऐसा ही कोई अन्य उपकरण के प्रयोग को प्रतिबंधित करते हुए न्यायालय ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि 37 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा और पांच डिग्री सेल्सियस से कम तापमान होने पर कोई व्यक्ति वाहनों को चलाने के लिए किसी जानवर का प्रयोग न करे।

न्यायालय ने जानवरों की सुरक्षा के पहलू का भी ध्यान रखते हुए गाडियों ओर जानवरों में फ्लोरेसेंट रिफलेक्टर्स लगाने और घोडों, बैलों तथा भटकने वाले मवेशियों के लिए उचित आकार के आश्रय स्थल के प्रबंध किए जाने की जरूरत बताई।

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