हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन को अमेरिका ने सोमवार(26 जून) को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शिखर बैठक से ठीक पहले उठाया गया यह कदम भारत की बड़ी रणनीतिक जीत मानी जा रही है।हिजबुल आतंकी सैयद सलाहुद्दीन का असली नाम मोहम्मद यूसुफ शाह है। अमेरिकी विदेश विभाग ने उसे एक्जीक्यूटिव आर्डर के तहत वैश्विक आतंकी घोषित किया है। यह कार्रवाई उसके खिलाफ होती है जिसकी आतंकी गतिविधियों से अर्थव्यवस्था, विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा या अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा को खतरा है।
भारत ने सलाहुद्दीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने का स्वागत किया है। अमेरिका के इस कदम के तहत कोई भी अमेरिकी नागरिक सलाहुद्दीन के साथ कोई वित्तीय लेनदेन नहीं कर सकेगा। साथ ही हिजबुल आतंकी की अमेरिकी न्यायक्षेत्र के तहत आने वाली सभी संपत्तियों को जब्त किया जा सकेगा।
बता दें कि सलाहुद्दीन ने धमकी दी थी कि वह कश्मीरी युवकों को आत्मघाती हमलावर बनाकर घाटी को भारतीय सुरक्षा बलों की कब्रगाह बना देगा। सलाउद्दीन 1989 से आतंकी गतिविधियों में लिप्त है। वह अभी हिज्बुल मुजाहिदीन का सरगना है। पाकिस्तान में रह कर कश्मीर में आतंकी गतिविधियां चलाता है।
1946 में कश्मीर के बडगाम में जन्मा सलाउद्दीन के पिता भारत सरकार के डाक विभाग में कर्मचारी थे। यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर में पढ़ाई के दौरान सलाहुद्दीन जमात-ए-इस्लाम के संपर्क में आया। यहीं से कट्टरपंथ की ओर बढ़ा झुकाव और मदरसे में शिक्षक बन गया।
इतना ही नहीं 1987 में जम्मू एवं कश्मीर में उसने विधानसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गया। हिंसक प्रदर्शन के मामले में उसे गिरफ्तार किया गया। 1989 में रिहा होने पर सलाहुद्दीन हिजबुल में शामिल हो गया, तब मुहम्मद अहसान डार संगठन का प्रमुख था। बाद में आईएसआई का साथ मिलने पर सलाहुद्दीन खुद चीफ बन बैठा।