सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल को पत्र लिखकर 2018 में एक इंटीरियर डिजाइनर को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित मामले में रिपब्लिक टीवी के संस्थापक अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत याचिका को ‘चयनित तरीके’ से 11 नवम्बर को एक अवकाशकालीन पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किये जाने पर ‘कड़ी आपत्ति’ जाहिर की है।
अर्नब गोस्वामी की जमानत याचिका पर बुधवार को न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की एक अवकाशकालीन पीठ के समक्ष सुनवाई होगी। दुष्यंत दवे ने स्पष्ट किया कि वह व्यक्तिगत रूप से गोस्वामी के खिलाफ नहीं है और वह किसी के अधिकार में हस्तक्षेप करने के लिए भी यह पत्र नहीं लिख रहे है क्योंकि सभी नागरिकों की तरह रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक को भी सुप्रीम कोर्ट से न्याय पाने का अधिकार है।
उन्होंने अपने पत्र में कहा कि यहां गंभीर मुद्दा मामलों का चयनित तरीके से सूचीबद्ध करने का है। उन्होंने कहा कि हजारों नागरिक लंबे समय से जेलों में हैं और उनके मामलों को हफ्तों और महीनों तक सूचीबद्ध नहीं किया जाता है, लेकिन जब भी गोस्वामी सुप्रीम कोर्ट का रूख करते है तो उनका मामला कैसे और क्यों तुरंत सूचीबद्ध हो जाता है।
दवे ने कहा कि मुंबई हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ गोस्वामी की याचिका कल दायर हुई और उसे तुरंत डायरी नंबर मिला, हालांकि अंतिम नहीं है, और इसे बुधवार (11 नवंबर) के लिए सूचीबद्ध किया गया है। उन्होंने सेक्रेटरी जनरल से न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष उनके पत्र को रखे जाने का अनुरोध किया जो गोस्वामी की याचिका पर सुनवाई करेगी।
बता दें कि, इंटीरियर डिजाइनर को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तार गोस्वामी 4 नवंबर से न्यायिक हिरासत में हैं। बाद में उन्हें नवी मुंबई की तलोजा जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। अलीबाग की सीजेएम अदालत ने पुलिस को जेल के अंदर हर दिन तीन घंटे के लिए रिपब्लिक टीवी के संस्थापक से पूछताछ करने की भी अनुमति दी थी।
महाराष्ट्र के रायगढ़ पुलिस की टीम ने बुधवार सुबह मुंबई के लोअर परेल स्थित घर से अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार किया था। उसके बाद बुधवार देर रात ही अर्नब को तीन अन्य आरोपियों के साथ अलीबाग कोर्ट में पेश किया गया, जहां से कोर्ट ने तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। (इंपुट: भाषा के साथ)