योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को दिल्ली उच्च न्यायालय से मंगलवार को उस वक्त झटका लगा जब उच्च न्यायालय ने राहत नहीं देते हुए पतंजलि को इनकम टैक्स विभाग के स्पेशल जांच में सहयोग का निर्देश दिया। बता दें कि रामदेव की कंपनी पतंजिल ने इनकम टैक्स विभाग के द्वारा स्पेशल ऑडिट पर रोक लगाने की गुहार उच्च न्यायालय से लगाई थी।
जनसत्ता.कॉम में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस एस रवींद्रन और जस्टिस प्रतीक जलान की संयुक्त बेंच ने कहा कि पंतजिल के ऑडिट के संबंध में ऐसा नहीं है कि इनकम टैक्स विभाग की तरफ से कोई हीलाहवाली बरती गई। असेसमेंट अधिकारी ने मामले के हर पहलू को ध्यान में रखते हुए ऑडिट का आदेश जारी किया। कोर्ट ने असेसमेंट अधिकारी द्वारा लिए गए फैसले पर अपनी सहमति दी।
कोर्ट ने कहा, निसंदेह AO का यह कर्तव्य है कि वह अपने विवेक का इस्तेमाल करे और जरूरत पड़ने पर रूटीन जांच के अलावा स्पेशल ऑडिट के प्रावधानों से भी पीछे नहीं हटे। ऐसे में अगर AO को लगता है कि उसे समय पर पूरी जानकारी नहीं मिल पा रही है तो उसके पास लिमिटेड चॉइस है- जिसके तहत वह जांच को रोके और मूल्यांकन की प्रक्रिया पूरी करे।
दरअसल, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने मूल्यांकन में इनकम टैक्स विभाग द्वारा 2010-11 की ऑडिट की प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस दौरान कंपनी का कहना था कि असेसमेंट अधिकारी (AO) अपनी प्राथमिक जिम्मेदारियों से बचने के लिए स्पेशल जांच करा रहे हैं।
वहीं, आईटी विभाग ने कोर्ट को बताया था कि असेसमेंट अधिकारी का स्पेशल जांच करना इसलिए जरूर है क्योंकि कंपनी के एकाउंट्स में कई तरह की पेचीदगी देखने को मिल रही हैं। कंपनी के तीन प्रमुख आय के श्रोत हैं इसलिए प्रत्येक के संचालन का तरीका और आय को निर्धारित करने वाली प्रक्रियाओं को समझना बेहद जरूरी है।
बता दें कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और कमजोर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के चलते आई मुश्किलों की वजह से पांच साल में पहली बार पतंजलि की बिक्री गिरी है। पिछले पांच साल में पहली बार ऐसा है जब पतंजलि कंपनी का मुनाफा कम हुआ है और बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है। कंपनी की बिक्री में 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है