भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) ने खबरों में ‘दलित’ शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा निर्देश जारी किए जाने के खिलाफ निर्णय करते हुए कहा है कि पूरी तरह प्रतिबंध की न तो सलाह दी जा सकती है न ही यह व्यावहारिक है। आपको बता दें कि अगस्त में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सभी निजी सेटेलाइट टीवी चैनलों को परामर्श जारी कर बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देश का अनुपालन करते हुए अनुसूचित जाति से जुड़े लोगों के लिए ‘दलित’ शब्दावली के इस्तेमाल से परहेज करने का आग्रह किया था।
मंत्रालय की ओर से मीडिया संस्थानों को कहा गया था कि वह ‘दलित’ शब्द की जगह संवैधानिक शब्द ‘अनुसूचित जाति’ का इस्तेमाल करें। हालांकि ‘दलित’ शब्द के इस्तेमाल के प्रतिबंध को पीसीआई ने नकार कर दिया है। पीसीआई ने कहा है कि इस तरह का कोई प्रतिबंध न तो संभव है और न ही इस तरह की कोई सलाह दी जानी चाहिए। परिषद का मानना है कि हाई कोर्ट ने दलित शब्द का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है, न कि इसे किसी भी परिस्थिति में इस्तेमाल न करने का आदेश दिया है।
दरअसल, पीसीआई ने पहले ही यह निर्णय कर लिया था लेकिन गुरुवार को बैठक में इसका अनुमोदन किया गया। पीसीआई ने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के आदेश पर गहन विचार-विमर्श किया गया। मीडिया से बातचीत के दौरान दलित शब्द के इस्तेमाल के मुद्दे पर एक सवाल का जवाब देते हुए पीसीआई के अध्यक्ष सीके प्रसाद ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को ऐसे निर्देश जारी करने पर विचार करने का निर्देश दिया था।
उन्होंने कहा, ‘बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश आगे हम तक बढ़ाया गया था। परिषद ने चर्चा की और निर्णय किया कि हर परिस्थिति में दलित शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध सलाह योग्य नहीं है। शायद किसी विशेष मामले में ‘दलित’ शब्द का उपयोग आवश्यक हो सकता है और इसलिए हमने कहा है कि पूरी तरह प्रतिबंध व्यावहारिक नहीं है, यह सलाह नहीं दी जाती है।’ परिषद का मानना है कि दलित शब्द का इस्तेमाल उसी स्थान या न्यूज आइटम में किया जाए जहां इसकी वास्तव में जरूरत हो।
मंत्रालय के इस फरमान पर विवाद खड़ा हो गया था। दलित संगठनों के अलावा टीवी चैनलों के प्रमुखों के बीच भी इसे लेकर आम सहमति नहीं दिख रही है। निजी टेलिविजन न्यूज चैनलों का प्रतिनिधित्व करने वाली न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) के कुछ सदस्यों ने पिछले कुछ दिनों में इन नियमों का विरोध किया था। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को एक निर्देश दिया था कि वह मीडिया से न्यूज रिपोर्ट्स में ‘दलित’ शब्द का उपयोग बंद करने को कहे।