केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ‘दलित’ शब्द को लेकर एक नया एडवाइजरी जारी की है। मंत्रालय ने तमाम मीडिया संस्थान को सलाह देते हुए कहा है कि वे ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल करें। मंत्रालय की ओर से मीडिया संस्थानों को कहा गया है कि वह ‘दलित’ शब्द की जगह संवैधानिक शब्द ‘अनुसूचित जाति’ का इस्तेमाल करें। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का ये निर्देश बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच की टिप्पणी के बाद आया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने जून में केन्द्रीय मंत्रालय को कहा था कि वह मीडिया को ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल करने से रोकें।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी कर सभी निजी टीवी चैनलों को बंबई हाई कोर्ट के एक फैसले के आलोक में अनुसूचित जातियों से जुड़े लोगों के लिए ‘दलित’ शब्द के इस्तेमाल से बचने का आग्रह किया है। एडवाइजरी में चैनलों से आग्रह किया गया है कि वे अनुसूचित जाति के लोगों का उल्लेख करते हुए ‘दलित’ शब्द के इस्तेमाल से बच सकते हैं।
सात अगस्त को सभी निजी टीवी चैनलों को संबोधित करके लिखे गए पत्र में बंबई हाई कोर्ट के जून के एक दिशा-निर्देश का उल्लेख किया गया है। उस दिशा-निर्देश में मंत्रालय को मीडिया को ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करने को लेकर एक निर्देश जारी करने पर विचार करने को कहा गया था। पंकज मेशराम की याचिका पर बंबई हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने ये निर्देश दिया था। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा अभी सिर्फ निजी टीवी चैनलों को ही यह सलाह दी गई है।
हालांकि यह अभी तक साफ नहीं है कि अखबार और विभिन्न पत्रिकाओं को भी ऐसे ही दिशा-निर्देश दिए गए हैं या नहीं।यह निर्देश संविधान की धारा 341 के तहत दिया गया है। हालांकि, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इस बात का जिक्र नहीं किया है कि यदि कोई मीडिया संस्थान निर्देशों का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ क्या कारवाई की जाएगी? मंत्रालय के इस निर्देश का तमाम दलित संगठनों ने आलोचना की है। लोगों का कहना है कि इस शब्द का राजनीतिक संदर्भ है और इस शब्द की वजह से हमे अलग पहचान मिलती है।
मंत्रालय के आदेश पर विवाद
इस मंत्रालय के इस फरमान पर विवाद खड़ा हो गया है। दलित संगठनों के अलावा टीवी चैनलों के प्रमुखों के बीच भी इसे लेकर आम सहमति नहीं दिख रही है। निजी टेलिविजन न्यूज चैनलों का प्रतिनिधित्व करने वाली न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) के कुछ सदस्यों ने पिछले कुछ दिनों में इन नियमों का विरोध किया है। एक सूत्र ने अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि इस बारे में जल्द ही NBA की एक बैठक हो सकती है।
ब्रॉडकास्टर्स एडिटर्स एसोसिएशन ने भी इस मुद्दे को अपने सदस्यों के सामने उठाया है और इस पर जल्द ही एक जवाब तैयार किया जाएगा। NBA के एक सदस्य ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर अखबार से कहा, ‘दलित शब्द का इस्तेमाल लंबे समय से मीडिया रिपोर्टों में किया जा रहा है। राजनेता, शिक्षक और दलित नेता खुद इसका इस्तेमाल करते हैं।’
‘दलित’ अपमानजनक शब्द नहीं
अखबार के मुताबिक सदस्य ने आगे कहा, ‘यह एक सामाजिक तौर पर स्वीकार किया गया शब्द है, यह अपमानजनक नहीं है। इस वजह से हमें यह समझ नहीं आ रहा कि हमें इसका इस्तेमाल क्यों रोकना चाहिए। इसका इस्तेमाल लंबे समय से हो रहा है और हम कैसे पैनलिस्ट्स या मेहमानों को इसका इस्तेमाल करने से रोक सकते हैं।’ इससे पहले केंद्र सरकार ने 15 मार्च को केंद्र और राज्यों के सभी विभागों से आधिकारिक संचार में ‘दलित’ शब्द के इस्तेमाल से बचने और इसके स्थान पर शेड्यूल्ड कास्ट (अनुसूचित जाति) का इस्तेमाल करने को कहा था।
एनबीए के कई सदस्यों ने कहा कि चूंकि कोर्ट से इस तरह का कोई आदेश या मैंडेट नहीं है, लिहाजा यह साफ नहीं है कि मंत्रालय ने ऐसी एडवाइजरी क्यों भेजी। एक सदस्य ने कहा कि हालांकि यह एडवाइजरी केवल टीवी चैनलों को भेजी गई है और प्रिंट या डिजिटल पब्लिकेशंस से कुछ नहीं कहा गया है, लिहाजा इससे मसला उलझ गया है। एक सदस्य ने कहा, ‘ब्रॉडकास्टर्स एडिटर्स एसोसिएशन भी यह मामला जल्द उठा सकता है। हम एक और बैठक करेंगे, जिसके बाद आगे के कदम पर फैसला किया जाएगा।’ एनबीए सदस्यों की एक बोर्ड मीटिंग 20 सितंबर को होने वाली है।
हाई कोर्ट ने क्या दिया था निर्देश?
अखबार के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया कि बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को एक निर्देश दिया था कि वह मीडिया से न्यूज रिपोर्ट्स में ‘दलित’ शब्द का उपयोग बंद करने को कहे। हाई कोर्ट के इस निर्देश के बााद ही मंत्रालय द्वारा चैनलों को यह एडवाइजरी जारी की गई है। उन्होंने बताया कि लोकसभा टीवी, राज्यसभा टीवी, डीडी न्यूज और ऑल इंडिया रेडियो इस नियम का पालन वर्षों से करते आ रहे हैं। अधिकारी ने कहा, ‘यह नियम पहले से है। चूंकि अदालत ने सलाह दी है, लिहाजा याद दिलाना जरूरी हो गया था।’
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की एडवाइजरी में कहा गया है, ‘मीडिया शेड्यूल्ड कास्ट से जुड़े लोगों का जिक्र करते वक्त ‘दलित’ शब्द के उपयोग से परहेज कर सकता है। ऐसा करना माननीय बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन करना होगा। इसके तहत मीडिया को अंग्रेजी में शेड्यूल्ड कास्ट और दूसरी राष्ट्रीय भाषाओं में इसके उपयुक्त अनुवाद का इस्तेमाल करना चाहिए।’