मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव: बीजेपी ने पूर्व मंत्री सहित 53 नेताओं को पार्टी से निकाला

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मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 28 नवंबर को वोटिंग की जाएंगी, जबकि वोटो की गिनती 12 दिसंबर को होगी। वहीं, राज्य में चुनाव से पहले टिकट बंटवारे को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। बीजेपी के कई बड़े नेता को इस बार पार्टी से टिकट नहीं दिया है, जिससे नाराज कई नेता कांग्रेस में शामिल हो गए। इसी बीच, मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनाव के दौरान पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाला काम कारने के कारण पूर्व मंत्री सहित 53 नेताओं को पार्टी से निकाल दिया।

समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी सूत्रों के अनुसार बगावत कर विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को दूसरी पार्टी या बतौर निर्दलीय नामांकन कर पार्टी की मुसीबत बढ़ाने वाले नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इन बागियों को मनाने की बुधवार को हर संभव कोशिश की गई थी। पार्टी उपाध्यक्ष प्रभात झा तो डॉ. रामकृष्ण कुसमारिया को मनाने दमोह तक गए, दो घंटे उनके घर पर बैठे रहे, मगर डॉ. कुसमारिया से मुलाकात नहीं हो सकी।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने आईएएनएस को बताया कि पार्टी ने 53 नेताओं को निष्कासित करने का फैसला लिया है। मध्य प्रदेश में संभवत: बीजेपी ने पहली बार इतनी बड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। जिन नेताओं को पार्टी से निष्कासित किया गया है, उसकी सूची गुरुवार की देर रात तक जारी नहीं की गई थी।

बीजेपी से बगावत कर भिंड से विधायक नारायण सिंह कुशवाह सपा, पूर्व मंत्री सरताज सिंह कांग्रेस, पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया दमोह और पथरिया, बमोरी से के एल अग्रवाल, सिहावल से विष्वामित्र पाठक, ग्वालियर से पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता, जबलपुर से भाजयुमो के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष धीरज पटैरिया, बैरसिया से ब्रह्मानंद रत्नाकर, मेहश्वर से राजकुमार मेव, खरगापुर में अजय यादव व सुरेंद्र प्रताप सिंह चुनाव मैदान में है। यह बागी नेता अपने-अपने क्षेत्र में प्रभावशाली है, जिससे बीजेपी के उम्मीदवार के लिए मुसीबत बने हुए हैं।

बता दें कि 28 नवंबर को मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे, जबकि वोटो की गिनती 12 दिसंबर को होगी। गौरतलब है कि कांग्रेस पिछले 15 साल से मप्र में सत्ता से बाहर है। इस बार माना जा रहा है कि प्रदेश में शिवराज सिंह के खिलाफ एक माहौल है। कांग्रेस इसी माहौल का फायदा उठाना चाहती है। राहुल गांधी इस चुनाव प्रचार में पूरी तरह से सक्रिय हैं।

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