CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव खारिज होने पर प्रशांत भूषण और कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पर उठाए सवाल

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उप-राष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को सोमवार(23 अप्रैल) को खारिज कर दिया है। उनके इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सवाल उठाए हैं। वहीं, इस फैसले पर कांग्रेस पार्टी ने भी टिप्पणी की है।

आम आदमी पार्टी(आप) के पूर्व नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सोमवार(23 अप्रैल) को अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि, ‘क्या! उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने CJI के खिलाफ 64 सांसदों के हस्ताक्षर वाले महाभियोग प्रस्ताव को खारिज कर दिया? उन्हें यह कहने का कोई अधिकार नहीं है कि आरोप नहीं तय होते। उसके लिए तीन जजों की इन्क्वायरी कमेटी बनती। उन्हें सिर्फ यह अधिकार है कि वो देखे कि यह 50 से ज्यादा सांसदों की ओर से हस्ताक्षरित है और आरोप दुर्व्यवहार के हों।’

वहीं, कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने महाभियोग प्रस्ताव खारिज होने के बाद कई ट्वीट कर नाराजगी जताई है। सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘महाभियोग की संवैधानिक प्रक्रिया 50 सांसदों (राज्यसभा में) की ओर से प्रस्ताव (नोटिस) दिए जाने के साथ ही शुरू हो जाती है। राज्यसभा के सभापति प्रस्ताव पर निर्णय नहीं ले सकते, उन्हें प्रस्ताव के गुण-दोष पर फैसला करने का अधिकार नहीं है। यह वास्तव में ‘‘लोकतंत्र को खारिज’’ करने वालों और ‘‘लोकतंत्र को बचाने वालों’’ के बीच की लड़ाई है।’

वहीं, उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि, 64 सांसदों द्वारा महाभियोग का नोटिस दिए जाने के कुछ घंटे के भीतर ही राज्यसभा में सदन के नेता (वित्त मंत्री) ने राज्यसभा के सभापति के निर्णय पर एक तरह से लगभग फैसला ही सुना दिया। उन्होंने पूर्वाग्रह जताते हुए इसे ‘प्रतिशोध याचिका’ बताया। कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया कि क्या ‘प्रतिशोध याचिका’ अब ‘बचाव आदेश’ बन गया है?

सुरजेवाला ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि, राज्यसभा के सभापति अद्र्ध-न्यायिक या प्रशासनिक शक्तियों की गैर-मौजूदगी में गुण-दोष पर फैसला नहीं कर सकते । यदि सभी आरोपों को जांच से पहले ही साबित करना है, जैसा राज्यसभा के सभापति कह रहे हैं, तो ऐसे में संविधान और न्यायाधीश (जांच) कानून की कोई प्रासंगिकता नहीं रह जाएगी। संविधान का गला नहीं घोटें।’

गौरतलब है कि, कांग्रेस समेत सात विपक्षी दलों (कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, एनसीपी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और मुस्लिम लीग) ने पिछले शुक्रवार को सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव पर 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किये हैं।

इनमें से 7 पिछले दिनों रिटायर हो गये थे। महाभियोग प्रस्ताव के लिए न्यूनतम सदस्यों की संख्या 50 होनी चाहिए। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने विपक्षी दलों के इस कदम को ‘जजों को डराने वाला’ बताया है।

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