राफेल घोटाले पर नए खुलासे के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने एक बार फिर से केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। राहुल ने ट्वीट कर कहा कि, मेरे कांग्रेस साथियों- भ्रष्ट केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ ऐसे ही लड़ते रहो।
राहुल गांधी ने मंगलवार को अपने ट्वीट में लिखा, “जब पग-पग पर सत्य साथ है, तो फ़िक्र की क्या बात है? मेरे कांग्रेस साथियों- भ्रष्ट केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ ऐसे ही लड़ते रहो। रुको मत, थको मत, डरो मत!”
जब पग-पग पर सत्य साथ है,
तो फ़िक्र की क्या बात है?मेरे कांग्रेस साथियों-
भ्रष्ट केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ ऐसे ही लड़ते रहो। रुको मत, थको मत, डरो मत!#RafaleScam pic.twitter.com/McJJJGEI5c— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 9, 2021
वहीं, प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, “कालेधन की सफाई का जुमला देकर भाजपा ने पूरे देश को लाइन में लगा दिया था। लेकिन, भाजपा राज में काली कंपनियों को सफेद बनाने और काले कारनामों को छुपाने जैसे कामों की लाइन लगी हुई है।”
कालेधन की सफाई का जुमला देकर भाजपा ने पूरे देश को लाइन में लगा दिया था।
लेकिन, भाजपा राज में काली कंपनियों को सफेद बनाने और काले कारनामों को छुपाने जैसे कामों की लाइन लगी हुई है। pic.twitter.com/SwE0X4SFmY
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 9, 2021
गौरतलब है कि, फ्रांस की एक ऑनलाइन पत्रिका ‘मीडियापार्ट’ ने राफेल घोटाले पर एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा है कि भारत को लड़ाकू जेट बेचने के लिए आकर्षक अनुबंध हासिल करने के लिए भारतीय बिचौलिए सुशेन गुप्ता को 65 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) दोनों को 2018 से गुप्ता को 65 करोड़ रुपये की रिश्वत के भुगतान के बारे में पता था, लेकिन दोनों सरकारी एजेंसियों ने कोई कार्रवाई नहीं किया। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दस्तावेजों के होने के बावजूद भारतीय एजेंसियों ने मामले को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया।
बता दें कि, राफेल घोटाले को लेकर पिछले कई सालों से भारत में राजनीति गर्म रही है और मीडियापार्ट के इस खुलासे के बाद एक बार फिर से हंगामा होना तय माना जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल सौदे में हुए भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया था। भारत के कई राज्यों में अभी चुनाव होने वाले हैं, लिहाजा विपक्ष राफेल डील को मुद्दा बनाकर मोदी सरकार को फिर से घेरने की कोशिश करेगी।
कांग्रेस ने राफेल सौदे में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। पार्टी का आरोप था कि जिस लड़ाकू विमान को यूपीए सरकार ने 526 करोड़ रुपए में लिया था उसे एनडीए सरकार ने 1670 करोड़ प्रति विमान की दर से लिया। कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया था कि सरकारी एयरोस्पेस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को इस सौदे में शामिल क्यों नहीं किया गया। इस फैसले के खिलाफ लगाई गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर 2019 को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इस मामले की जांच की जरूरत नहीं है।