केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 11,300 करोड़ रुपए से अधिक रकम के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराए जाने की मांग का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट में इस सिलसिले में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें मामले की जांच और इस मामले में कथित रूप से शामिल हीरा व्यापारी नीरव मोदी को विदेश से वापस लाने के लिये SIT के गठन का मांग की गई है।
याचिका का विरोध करते हुए सरकार ने कहा कि इस मामले में FIR दर्ज की जा चुकी है और जांच जारी है। इस पर कोर्ट ने कहा कि अभी वह इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है। अदालत ने याचिका पर सुनवाई के लिए 16 मार्च की तारीख तय कर दी। यह जनहित याचिका वकील विनीत ढांडा की ओर से दायर की गई है। याचिका में पंजाब नैशनल बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक, वित्त मंत्रालय और विधि एवं न्याय मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया गया है।
समाचार एजेंसी भाषा के हवाले से नवभारत टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता की मांग है कि इस बैंकिंग घोटाले में कथित रूप से शामिल नीरव मोदी और अन्य को दो महीने के अंदर भारत लाने के लिए कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया जाए। साथ ही इसकी जांच SIT से कराने का अनुरोध किया गया है। इसके अलावा, इसमें पंजाब नैशनल बैंक के शीर्ष प्रबंधन की भूमिका की भी जांच कराने की मांग की गई है।
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि इस मामले में FIR दर्ज होने के बाद जांच शुरू हो चुकी। इसके अलावा भी कई ऐसे बिंदु हैं जिनके आधार पर वह इस जनहित याचिका का विरोध कर रहे हैं। बता दें कि सीबीआई ने इस घोटाले के मामले में नीरव मोदी, उसके रिश्तेदार गीतांजलि जेम्स के मेहुल चौकसी और अन्य के खिलाफ 31 जनवरी को पहली FIR दर्ज की थी और अभी कुछ दिन पहले उसने एक और FIR दर्ज की है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि दस करोड़ रुपए या इससे अधिक राशि के कर्ज की मंजूरी और उसके वितरण की स्थिति में इस रकम की सुरक्षा और वसूली सुनिश्चित करने के लिए वित्त मंत्रालय को दिशानिर्देश तैयार करने चाहिए। मांग की गई है कि कोर्ट इस संबंध में वित्त मंत्रालय को निर्देश जारी करे। इसके अलावा देश में बैंकों के बट्टे खाते वाले लोन के मामलों से निबटने के लिये विशेष व्यवस्था करने का अनुरोध किया गया है।
ढांडा ने अपनी याचिका में दस्तावेजों में खामियों के आधार पर भी कर्ज की मंजूरी देने वाले बैंक कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करने और कर्ज की वसूली के लिये ऐसे अधिकारियों की सपंत्ति जब्त करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है, भले ही वे रिटायर हो गए हों।
इस बीच, एक अन्य वकील मनोहर लाल शर्मा ने भी एक जनहित याचिका दायर कर सारे घोटाले की जांच के लिये गठित होने वाले विशेष जांच दल में सुप्रीम कोर्ट के जजों को शामिल किए जाने का अनुरोध किया। उन्होंने याचिका में दावा किया है कि इस महाघोटाले ने आम आदमी और सरकारी खजाने को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।
शर्मा ने याचिका में कहा है कि इस महाघोटाले की जांच ऐसी किसी एजेंसी को नहीं करनी चाहिए जिसका नियंत्रण राजनीतिक नेताओं और प्राधिकारियों के हाथ में हो। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस मामले में रिजर्व बैंक के वित्तीय नियमों और नियमित व्यवस्था का पालन किये बगैर ही कर्ज दिये गए।