‘स्वास्थ्य मंत्री झूठ बोल रहें हैं, मेडिकल कॉलेज को पता था ऑक्सिजन कमी के बारे में’

0

ऑक्सिजन आपूर्ति करने वाली फर्म पुष्पा सेल्स की ओर से दीपांकर शर्मा ने एक अगस्त को ही मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को पत्र लिखकर बकाया 63.65 लाख रु. का भुगतान न होने के कारण सप्लाई बाधित होने की चेतावनी दी थी।

पत्र में लिखा था कि बकाया भुगतान न होने की स्थिति में वह गैस की सप्लाई नहीं कर पाएंगे और इसकी जिम्मेदारी संस्था की होगी। मेडिकल कॉलेज प्रशासन का भी मानना है कि गुरुवार की शाम 7:30 बजे से ही ऑक्सिजन का प्रेशर लो हो गया था जिसके चलते रिजर्व 52 सिलिंडर लगाकर काम करवाया गया।

मेडिकल कॉलेज में सामान्य आपूर्ति बहाल करने के लिए कम से कम 300 सिलिंडर की जरूरत थी। ऑक्सिजन की कमी के चलते मेडिकल कॉलेज में अफरातफरी मच गई। मेडिकल कॉलेज के जापानी बुखार वार्ड में लिक्विड ऑक्सिजन के खत्म होने के बाद चार मासूमों की सबसे पहले मौत हुई।

इस वार्ड में मातमी सन्नाटे के बीच मन्नत का दौर चलता दिखा। मेडिकल कॉलेज के 100 नंबर वार्ड में गंभीर मरीजों को देखते हुए ऑक्सिजन सिलिंडर लगाने का काम जारी था।

वार्ड में एक साथ 16 ऑक्सिजन सिलिंडर लगे जो चंद घंटों में ही खत्म हो गए। एक बार फिर डॉक्टर और स्टाफ ने सिलिंडर के जुगाड़ में इधर-उधर दौड़ लगाना शुरू कर दिया। यह सब देखकर जापानी बुखार वार्ड के बाहर भर्ती मरीजों के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था। उन्हें यह डर सता रहा था कि कहीं मौत उनके बच्चे को भी न डस ले।

इस बीच, एनआईसीयू वॉर्ड में 17, एईएस वॉर्ड में 5 व नॉन एईएस वॉर्ड में 8 मरीजों सहित 36 घंटे में 48 मरीजों को जान चली गई। देर रात एसपी कार्यकर्ताओं ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए कॉलेज परिसर में प्रदर्शन भी किया।

अस्पताल प्रशासन ने 30 मौतों की बात मानी है लेकिन ऑक्सिजन की कमी को इसकी वजह मानने से इनकार किया है। मुख्य सचिव राजीव कुमार ने घटना की मैजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं।

केजीएमयू में साल 2001 में ऐसी घटना हुई थी। यहां के बाल रोग विभाग में ऑक्सीजन सिलिंडरों की कमी के कारण दो दिन में 22 बच्चों ने दम तोड़ दिया था। इसके बाद केजीएमयू में सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया था।

देखिए यह पत्र

Previous articleSharad Yadav removed as leader of JD(U) in Rajya Sabha
Next articleGorakhpur medical college principal suspended