जब रोजगार नहीं मिलता तब गरीब आदमी अपनी उधड़ी हुई पतलून की सिलाई करता है

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दिनभर काम की तलाश में भटकने के बाद जब कोई दिहाड़ी नहीं मिलती तब उस फुर्सत में भारत का एक आम आदमी क्या करता है? प्रधानमंत्री मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली और अमित शाह को यह जरूर देखना चाहिए।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का कहना है कि आप देश में चारों तरफ घूमकर देखिए कहीं हताशा-निराशा और बेरोजगारी-परेशानी का वातावरण नहीं है। गिरती हुई विकास दर की चिंता के सवाल पर उन्होंने जवाब देते हुए यह कहा था। यकीनन अमित शाह के आस-पास का माहौल जरूर विकासवादी नज़रिये से भरा होगा लेकिन देश की असलियत कुछ और ही बंया कर रही है। इसके अलावा दुनियाभर के आर्थिक विशेषज्ञों ने भारत के चरमराई आार्थिक व्यवस्था पर चिंताएं व्यक्त की है।

आज ही पूर्व वित्त मंत्री यंशवत सिन्हा ने बेखौफ होकर कहा कि ‘वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अर्थव्यवस्था का ‘कबाड़ा’ कर दिया है।यशवंत सिन्हा ने तंज कसते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उन्होंने गरीबी को काफी करीब से देखा है। ऐसा लगता है कि उनके वित्त मंत्री ओवर-टाइम काम कर रहे हैं जिससे वह सभी भारतीयों को गरीबी को काफी नजदीक से दिखा सकें।’

यशवंत सिन्हा के इस तंज पर PM मोदी को गौर करना चाहिए। PM मोदी हमेशा अमीरों के साथ खड़े होकर गरीबों की बात करते हुए दिखाई देते है। अमित शाह और PM मोदी को पूर्व अंतर्राष्ट्रीय एथिलीट अजीत वर्मा  का यह वीडियो देखना चाहिए जो देश की सच्चाई को सामने रख देता है। वीडियो में हम देखते है कि एक गरीब बुर्जग को जब दिनभर तलाश करने के बावजूद कहीं काम नहीं मिलता तो वह अपनी पुरानी उधड़ी हुई पतलून को सिलने लग जाता है। उसी समय अजीत वर्मा ने उससे बात करते हुए यह वीडियो बना लिया। वह व्यक्ति वीडियो में बताता है कि मैं कोई भिखारी नहीं हूं। आज कहीं काम नहीं मिला इसलिए अपनी पेंट सीने लगा हूं।

हम वीडियो में देखते है कि वह एक मोटे धागे से अपनी इस उधड़ी हुई पेंट को सी रहा है। बोरियों को सिलने वाले सुंए से वह इस फटी हुई पंेट को फिर से पहनने लायक बना रहा है। यही देश की सच्चाई है। जो हर चौराहे, हर नुक्कड़ पर हमें दिख जाती है।

पूर्व अंतर्राष्ट्रीय एथिलीट अजीत वर्मा जो स्पर्श स्पोर्ट्स डेवेलपमेंट फाउंडेशन के अध्यक्ष है ने ‘जनता का रिपोर्टर’ से बात करते हुए बताया कि यह वीडियो लखनऊ का है। जब वह पैदल ही रास्ते में अपने दफ्तर जा रहे थे तब उन्हें यह बुर्जुग अपनी पेंट की सिलाई करता हुआ दिखाई दिया। बात करने पर उस व्यक्ति ने बताया कि आज दिनभर कोई काम नहीं मिला इसलिए यह कर रहा हूं। अजीत ने मदद के तौर पर जब उस व्यक्ति को पैसे देने की बात कहीं तो उसने कहा कि वह भिखारी नहीं है, बस आज काम ही नहीं मिला तब उन्होंने आग्रह करते हुए पतलून सिलवा लेने के लिए कुछ पैसे उस व्यक्ति को दिए।

जबकि आज ही पूर्व वित्त मंत्री यंशवत सिन्हा ने इसी हालात पर चिंता जाहिर करते हुए एक समाचार पत्र से बात करते हुए कहा कि ‘इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर क्या है? प्राइवेट इन्वेस्टमेंट काफी कम हो गया है, जो दो दशकों में नहीं हुआ। औद्योगिक उत्पादन ध्वस्त हो गया, कृषि संकट में है, निर्माण उद्योग जो ज्यादा लोगों को रोजगार देता है उसमें भी सुस्ती छायी हुई है। सर्विस सेक्टर की रफ्तार भी काफी मंद है। निर्यात भी काफी घट गया है।

अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्र संकट के दौर से गुजर रहे हैं। नोटबंदी एक बड़ी आर्थिक आपदा साबित हुई है। ठीक तरीके से सोची न गई और घटिया तरीके से लागू करने के कारण जीएसटी ने कारोबार जगत में उथल-पुथल मचा दी है। कुछ तो डूब गए और लाखों की तादाद में लोगों की नौकरियां चली गईं। नौकरियों के नए अवसर भी नहीं बन रहे हैं।’

इसके अलावा आपको बता दे कि युवाओं को रोजगार देने के मामले में ‘प्रधानमंत्री की कौशल विकास योजना’ अपने लक्ष्य को हासिल करने में नोटबंदी की तरह ही नाकाम साबित हुई थी। जुलाई 2017 के पहले हफ्ते तक जो आंकड़े आए थे उससे पता चल जाता है कि सरकार इस मोर्च पर कितनी कामयाब हुई है। योजना के तहत जिन 30.67 लाख लोगों को कौशल प्रशिक्षण दिया गया था उनमें से 2.9 लाख लोगों को ही नौकरी के प्रस्ताव मिले।

जबकि देशभर में बेरोजगारों की भारी भीड़ चारो तरफ दिखाई देती हैं। 30.67 लाख युवाओं में से केवल 2.9 युवाओं को नौकरी का प्रस्ताव बताता है कि योजना के तहत प्रशिक्षण पाने वालों में 10 प्रतिशत से भी कम को नौकरी का प्रस्ताव मिला जिससे पता चलता है कि मोदी सरकार का इस योजना के परिणाम का लक्ष्य न सिर्फ अधूरा रहा बल्कि पूरी तरह से फेल रहा।

यह तो सुनियोजित सेक्टर की बात है इस विडियो में दिखाए गए दिहाड़ी मजदूरों के हालात तो और भी खराब है। काश अमित शाह सहित पीएम मोदी भी देश की इस सच्चाई को देख पाते।

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