राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी यह मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने CAG (कॉम्पट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल) की रिपोर्ट को आधार बनाकर हमले शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस नेता और PAC के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राफेल मामले को लेकर एक बार फिर से मोदी सरकार पर हमला बोला है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला कि सीएजी रिपोर्ट सदन में पेश की गई और पीएसी के सामने भी, इसके बाद पीएसी ने इसकी जांच की। सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा कि ये जानकारी पब्लिक डोमेन में मौजूद है। तो सरकार बताए कि ये जानकारी कहां मौजूद है? क्या आपने इसे देखा है? साथ ही कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मैं इस मामले को PAC के दूसरे सदस्यों के समक्ष उठाने जा रहा हूं। हम AG (अटर्नी जनरल) और CAG को भी तलब करेंगे।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि सरकार ने धोखे से काम किया है। उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन वह जांच एजेंसी नहीं है। ऐसे में हम राफेल डील पर JPC की मांग पर अड़े हुए हैं।
Mallikarjun Kharge: Govt lied in SC that the CAG report was presented in the house and in PAC and PAC has probed it. Govt said in SC it is in public domain. Where is it? Have you seen it? I am going to take this up with other members of PAC. We will summon AG and CAG. #Rafale pic.twitter.com/IccrwaZxx1
— ANI (@ANI) December 15, 2018
मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर बीजेपी सांसद सुब्रामण्यम स्वामी ने कहा कि, अगर PAC चेयरमैन मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि सीएजी की रिपोर्ट नहीं मिली है तो हमें उनकी बात को गंभीरता से लेना चाहिए, उन्हें सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करना चाहिए या रिव्यू पेटीशन दायर करनी चाहिए।
BJP MP Subramanian Swamy: PAC Chairman Mallikarjun Kharge saying he has not got CAG report then we have to take his word, he should file affidavit or review petition in court saying I did not receive and the committee has not examined it. #Rafale pic.twitter.com/6S9HMkIfrk
— ANI (@ANI) December 15, 2018
बता दें कि एक दिन पहले भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस पर सरकार को घेरने की कोशिश की थी। बता दें कि शुक्रवार को राफेल डील की जांच को लेकर दायर याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था और कहा था कि इस डील में कोर्ट को कोई कमीं नजर नहीं आती है।