पशुओं की खरीद-बिक्री को लेकर केंद्र सरकार के आदेश को लेकर केरल हाईकोर्ट ने दखल देने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने केंद्र की अधिसूचना का समर्थन करते हुए बुधवार(31 मई) को कहा कि कोर्ट का यह मानना है कि केंद्र का यह बैन बड़े बाजारों में बड़े स्तर पर पशुओं की बिक्री पर रोक लगाने के लिए है। कोर्ट ने कहा कि यह फैसला पशु वध या मांस खाने को लेकर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
केरल हाई कोर्ट ने केंद्र नोटिफिकेशन का समर्थन करते हुए कहा कि नए अधिसूचना के मुताबिक, मवेशियों की हत्या या उनका मीट खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, बल्कि इसके जरिए सिर्फ बड़े बाजारों में बड़े स्तर पर मवेशियों की बिक्री पर रोक लगाया गया है।
Court observed that there is no ban on cattle slaughter or consuming meat but bill only bans large-scale sale of cattle through big markets.
— ANI (@ANI) May 31, 2017
वहीं, इससे पहले गोहत्या और पशुओं की खरीद-बिक्री के बैन को लेकर केंद्र सरकार की अधिसूचना पर राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार से सिफारिश की है कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि कानूनों में बदलाव करके गोहत्या के मामले में उम्रकैद की सजा दी जाए। बता दें कि अभी तक इस मामले में तीन साल की सजा का प्रावधान है।
कोर्ट ने मंगलवार(31 मई) को हिंनगोनिया गौशाला में गायों की मौत मामले पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। कोर्ट ने वन विभाग को आदेश दिया है कि हर साल गौशालाओं में 5000 पौधे लगाए जाएं। जज महेश चंद्र शर्मा ने वन विभाग को निर्देश देते हुए कहा कि हर साल गोशाला में 5000 पौधे लगाए जाएं।
हालांकि, इससे पहले पशुओं की खरीद-बिक्री को लेकर केंद्र सरकार के फैसले पर मद्रास हाई कोर्ट ने चार सप्ताह के लिए रोक लगा दी है। कोर्ट ने वध के लिए जानवरों की खरीद-बिक्री पर केंद्र के अध्यादेश पर रोक लगाते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है।
सोमवार(29 मई) को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मवेशियों को मंडियों में वध के लिए खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र की अधिसूचना को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी थी। मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने अंतरिम फैसला सुनाते हुए कहा कि केंद्र सरकार लोगों की ‘फूड हैबिट’ तय नहीं कर सकती।
सेल्वागोमति और आसिक इलाही बाबा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एमवी मुरधीधरन और जस्टिस सीवी कार्तिकयन ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि खाने को चुनना सबका व्यक्तिगत अधिकार है और किसी को भी उसे तय करने का अधिकार नहीं है।
दरअसल, 26 मई 2017 को केंद्र सरकार ने वध के लिये पशु बाजारों में मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगा दिया था। पर्यावरण मंत्रालय ने पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम के तहत सख्त ‘पशु क्रूरता निरोधक (पशुधन बाजार नियमन) नियम, 2017’ को अधिसूचित किया है।
इसके तहत पशु बाजारों से मवेशियों की खरीद करने वालों को लिखित में यह वादा करना होगा कि इनका इस्तेमाल खेती के काम में किया जाएगा, न कि मारने के लिए। इन मवेशियों में गाय, बैल, सांड, बधिया बैल, बछड़े, बछिया, भैंस और ऊंट शामिल हैं।