दिल्ली हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से दायर मानहानि के मामले के संदर्भ में दिल्ली एवं राज्य क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के दो दस्तावेजों को मंगाने का अनुरोध स्वीकार कर लिया। केजरीवाल की तरफ से पेश हुए वकील द्वारा जिरह के एक सत्र में पूछे गए सवालों के संदर्भ में हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय मंत्री के समक्ष उठाये गए सवाल इस मामले में अप्रासंगिक थे और प्रश्नकर्ताओं को ऐसे सवाल पूछने से बचना चाहिए।अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि जिरह किस दिशा में जा रही थी। पंजाब केसरी की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति मनमोहन ने यह भी स्पष्ट किया कि अदालत 10 फरवरी 2003 और छह अप्रैल 2003 के दो दस्तावेज पेश करने का केजरीवाल का अनुरोध स्वीकार कर रही है जिनके आधार पर जिरह के दौरान जेटली से सवाल किये जा सकते हैं। बता दें कि इस मामले में संयुक्त रजिस्ट्रार के समक्ष जेटली की जिरह चल रही है।
संयुक्त रजिस्ट्रार ने केजरीवाल को 12 फरवरी तक जिरह पूरी करने का निर्देश दिया है। हालांकि हाई कोर्ट ने केजरीवाल के उस आग्रह को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने 1999 से 2013 तक अरुण जेटली के अध्यक्ष रहते हुए डीडीसीए की बैठकों का पूरा ब्यौरा मांगा था। अदालत ने कहा कि वह यह नहीं समझ सकती कि केजरीवाल के खिलाफ मानहानि के इस मामले में बैठक का ब्यौरा कैसे प्रासंगिक है।
इतना ही नहीं मुख्यमंत्री द्वारा इन दस्तावेजों की मांग के संबंध में कोई आधार भी नहीं बताया गया है। जिन दस्तावेजों की मांग स्वीकार की है उसके संदर्भ में अदालत ने केजरीवाल को दो दिनों के अंदर उचित आवेदन देने के लिए कहा है।गौरतलब है कि जेटली 2000 से 2013 तक डीडीसीए के अध्यक्ष रह चुके हैं।
केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि जेटली के कार्यकाल में भ्रष्टाचार हुआ था। जेटली ने केजरीवाल के खिलाफ 10 करोड़ रुपये का मानहानि केस दायर किया है। जेटली ने इस केस में केजरीवाल के अलावा AAP के नेताओं राघव चड्ढा, कुमार विश्वास, आशुतोष, संजय सिंह और दीपक बाजपेयी के खिलाफ भी मानहानि का केस दायर किया है।