भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार (5 फरवरी) को राज्यसभा में अपने पहले भाषण में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार की उपलब्धि गिनाई और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि माना कि बेरोजगारी है लेकिन 55 साल कांग्रेस ने शासन किया। हम पिछले आठ साल से सत्ता में हैं। यह समस्या अचानक पैदा नहीं हुई। मेहनत करके, पकोड़े बेचकर कोई रोजगार करता है, क्या हम उसकी तुलना भिखारी से करेंगे?
नवभारत टाइम्स के मुताबिक, अपने भाषण के दौरान शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पकौड़ा वाले बयान का बचाव करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के पकौड़ा बेचने की तुलना भिखारी से करने को लेकर विपक्पष पर निशाना साधा। शाह ने कहा, ‘करोड़ों युवा जो छोटे-छोटे स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, पकौड़ा बना रहे हैं, उसकी आप भिखारी के साथ तुलना करेंगे। यह किस प्रकार की मानसिकता है। पकौड़ा बनाना कोई शर्म की बात नहीं है।
उन्होंने कहा कि इसकी भिखारी के साथ तुलना करना शर्मनाक बात है। कोई बेरोजगार पकौड़ा बना रहा है। उसकी दूसरी पीढ़ी आगे आएगी। कोई बड़ा उद्योगपति बनेगी। एक चायवाला प्रधानमंत्री बनकर इस सदन में बैठा है। अमित शाह के इस पहले भाषण के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी भी सदन में मौजूद थे।
आपको बता दें कि समाचार चैनल जी न्यूज को दिये साक्षात्कार में जब पीएम मोदी से अपर्याप्त नौकरी सृजन के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि अगर कोई पकौड़ा बेचकर प्रतिदिन 200 रुपये कमाता है तो उसे भी नौकरी के तौर पर माना जाना चाहिए। रोजगार के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा था कि अगर जी टीवी के बाहर कोई व्यक्ति पकौड़ा बेच रहा है तो क्या वह रोजगार होगा या नहीं?
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की 23 बैठक में कांग्रेस सरकारों के कई मंत्री शामिल हुए और उन्होंने सहमति जताई। लेकिन सदन में कुछ और भाषा बोलते हैं। उन्होंने कहा कि लोग जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बोल रहे हैं, कौन है गब्बर? शोले फिल्म में डकैट का नाम था गब्बर सिंह।कानूनी रूप से टैक्स लेना क्या डकैती है। ये टैक्स जवानों के लिए जाता है, लोगों की भलाई में जाता है। क्या लोगों को टैक्स ना देने के लिए कहना अच्छी बात है।
कांग्रेस के आरोपों पर अमित शाह ने कहा कि बीजेपी ने कभी जीएसटी का विरोध नहीं किया, बल्कि इसके तरीके का विरोध किया। उन्होंने कहा कि केंद्र की तत्कालीन सरकार ने केंद्र और राज्य के संबंधों का ध्यान नहीं रखा। आपने वादे को पूरा नहीं किया। राज्यों को हो रहे घाटे को पूरा नहीं किया। वर्तमान की एनडीए सरकार ने यह घाटा पूरा किया और राज्यों की शंकाओं का समाधान किया।