भारत के अलग-अगल राज्यों से हर रोज कोई न कोई ऐसी तस्वीर सामने आ ही जाती है, जिसे देखकर हमें शर्मसार होना पड़ता है। अस्पताल प्रशासन की बेरहमी का एक और मामला सामने आया है, जो देश की राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम का है।
यहां एक गर्भवती महिला को हॉस्पिटल के गेट पर ही डिलिवरी के लिए मजबूर होना पड़ा। अस्पताल प्रशासन ने कथित तौर पर आधार कार्ड नहीं होने की वजह से महिला को भर्ती करने से इनकार कर दिया था, इससे महिला को अस्पताल के दरवाजे पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा। यह मामला गुड़गांव सिविल अस्पताल का है।
एबीपी न्यूज़ के मुताबिक, मध्यप्रदेश की रहने वाली मुन्नी अपने इलाज के लिए गुरुग्राम के नागरिक अस्पताल पहुंची थी। लेकिन, इलाज के लिए भर्ती करने से पहले डॉक्टर ने उनका आधार कार्ड मांगा। मु्न्नी के पास आधार कार्ड नहीं था उसके पति ने अपना आधार नंबर बताया इसके बाद भी डॉक्टर नहीं माने और आधार की ओरिजनल कॉपी के लिए अड़े रहे। इसी दौरान मुन्नी की हालत बिगड़ी और उन्होंने अस्पताल के दरवाजे पर ही बच्चे को जन्म दिया।
इसके बाद भी अस्पताल ने महिला को तब भर्ती किया जब मीडिया अस्पताल के बाहर पहुंच गया। रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में अस्पताल की ओर से सफाई भी दी गई है। अस्पताल प्रबंधन इस तरह की किसी घटना से इनकार कर रहा है, उनका कहना है कि हमने सिर्फ महिला को अल्ट्रासाउंड के लिए भेजा था।
नवभारत टाइम्स.कॉम में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा के स्वास्थ्य व खेल मंत्री अनिल विज ने कहा कि आधार कार्ड न होने की वजह से किसी भी मरीज का इलाज नहीं रोका जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं।
बता दें कि, इससे पहले उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में आधार कार्ड नहीं होने की वजह से एक गर्भवती महिला को हॉस्पिटल के गेट पर ही डिलिवरी के लिए मजबूर होना पड़ा। यह घटना जौनपुर के शाहगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की थी।
इससे पहले पिछले दिनों हरियाणा के सोनीपत शहर के एक निजी अस्पताल के अड़ियल रवैये के कारण कारगिल युद्ध के एक शहीद की पत्नी ने दम तोड़ दिया। क्योंकि इस अस्पताल ने मरीज को सिर्फ इसलिए भर्ती नहीं किया क्योंकि उसके पास आधार कार्ड की ओरिजिनल कॉपी नहीं थी, जिस कारण महिला की मौत हो गई।