अस्पताल मांगता रहा आधार कार्ड की ओरिजिनल कॉपी, तड़प-तड़प कर मर गई कारगिल शहीद की पत्नी, बेटे ने लगाया गंभीर आरोप

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सरकारी काम से लेकर टैक्स फाइल करने तक के लिए अब हर काम में आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। लेकिन क्या आधार कार्ड किसी शख्स की जान भी ले सकता है? जी हां, यह सोचकर ही आपका कलेजा कांप उठेगा। सोनीपत शहर के एक निजी अस्पताल के अड़ियल रवैये के कारण कारगिल युद्ध के एक शहीद की पत्नी ने दम तोड़ दिया।

क्योंकि इस अस्पताल ने मरीज को सिर्फ इसलिए भर्ती नहीं किया क्योंकि उसके पास आधार कार्ड की ओरिजिनल कॉपी नहीं थी, जिस कारण महिला की मौत हो गई।

फोटो- दैनिक जागरण

दैनिक जागरण की ख़बर के मुताबिक, बीमार मां को अस्पताल लेकर पहुंचा शहीद का बेटा मां की इलाज के लिए गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन निजी अस्पताल का प्रबंधन आधार कार्ड जमा करवाने पर अड़ा रहा। आधार कार्ड की कॉपी मोबाइल में दिखाने के बावजूद वे नहीं माने।

महलाना गांव निवासी लक्ष्मण दास कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे, उनकी पत्नी शकुंतला कई दिनों से बीमार थीं। बेटा पवन कई अस्पतालों में उन्हें लेकर गया था। बाद में जब शहर स्थित आर्मी कार्यालय में गया तो वहां उन्हें पैनल में शामिल शहर के निजी अस्पताल ले जाने को कहा गया।

पवन मां को लेकर अस्पताल में पहुंचे तो वहां उनसे आधार कार्ड मांगा। पवन ने मोबाइल में मौजूद आधार कार्ड का फोटो दिखाया व आधार कार्ड नंबर बताया मगर अस्पताल प्रबंधन नहीं पसीजा और पुलिस बुला ली।

मौके पर पहंची पुलिस भी बेटे को ही धमकाने लगी। मां की लगातार बिगड़ती हालत देख बेटा दूसरे अस्पताल भागा लेकिन समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण शहीद की पत्नी ने दम तोड़ दिया। पवन का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने उसकी मां का इलाज करने के बजाय उसे बाहर निकालने के लिए पुलिस बुला ली।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि युवक को हंगामा करता देख पुलिस बुलाई गई थी। वहीं, पवन का आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने उनकी सुनने की बजाय उन्हें धमकाना शुरू कर दिया।

अस्पताल के मुताबिक, वह इलाज के लिए तैयार था। मगर परिजन मरीज को इमरजेंसी वॉर्ड से बाहर ले गए। दूसरे अस्पताल ले जाते वक्त मौत हुई।

अस्पताल पर लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं। अस्पताल के अपने कुछ नियम कानून हैं, जिन्हें हमें मानना पड़ता है। पेपर वर्क पूरा करना पड़ता है। कोई मरीज गंभीर हालत में है तो तुरंत उसे दाखिल किया जाता है, उसका इलाज शुरू किया जाता है।

बता दें कि, इससे पहले झारखंड के सिमडेगा जिले में 11 साल की एक मासूम लड़की सिर्फ इसलिए भूख से तड़प-तड़प कर मर गई थी, क्योंकि उसका परिवार राशन कार्ड को आधार से लिंक नहीं करा पाया था।

ख़बर के मुताबिक, पीड़िता परिवार को पीडीएस स्कीम के तहत गरीबों को मिलने वाला राशन पिछले कई महीनों से नहीं मिल पा रहा था। भुखमरी के हालात बनने पर संतोषी कुमारी नाम की इस लड़की ने दम तोड़ दिया। खाद्य सुरक्षा को लेकर काम करने वाली एक संस्था ने इस शर्मनाक घटना का खुलासा किया था।

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