मध्य प्रदेश के मंदसौर में उग्र हुए किसान आंदोलन के दौरान कथित तौर पर भीड़ को भड़काने के आरोप का सामना कर रहीं कांग्रेस विधायक शकुंतला खटीक के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गया है। मध्य प्रदेश के शिवपुरी के करेरा से कांग्रेस विधायक शकुंतला ने किसान आंदोलन के दौरान कथित तौर पर अपने समर्थकों को थाने में आग लगाने की बात कही थी।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने सोमवार(12 जून) देर रात शकुंतला खटीक के खिलाफ केस दर्ज किया। विधायक के अलावा कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष वीनस गोयल को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया है। दोनों नेताओं पर किसानों को भड़काने का आरोप लगा है।
दरअसल, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में विधायक शकुंतला भीड़ को उकसाती हुई नजर आ रही हैं वो कुछ लोगों को थाने में आग लगा देने के लिए कहती दिख रही हैं। इस दौरान एक पुलिस अधिकारी भी मौजूद हैं, जो भीड़ को समझाने का प्रयास कर रहे हैं। 11 सेकेंड के इस वीडियो में वह तीन बार “थाने में आग लगा दो” कहती हुई सुनाई दे रही है।
6 किसानों की मौत
बता दें कि मध्य प्रदेश के मंदसौर में मंगलवार(6 जून) को किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में छह किसानों की मौत हो गई थी और कई अन्य किसान घायल हो गये थे। इसके बाद किसान भड़क गये और किसान आंदोलन समूचे मध्य प्रदेश में फैल गया तथा और हिंसक हो गया।
शिवराज सरकार का ‘यू-टर्न’
वहीं, 8 जून को मध्य प्रदेश सरकार ने आखिरकार मान लिया कि मंदसौर में भड़के किसान आंदोलन में किसानों की मौत पुलिस की गोली से ही हुई थी। राज्य के गृहमंत्री ने स्वीकारा कि किसानों पर पुलिस ने ही गोली चलाई थी।
गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पांच किसानों की मौत पुलिस की गोलीबारी में हुई है। जांच में इसकी पुष्टि हुई है।
बता दें कि इससे पहले इससे पहले पिछले दो दिनों से प्रदेश सरकार पुलिस फायरिंग से इनकार कर रही थी। भूपेंद्र सिंह समते राज्य सरकार के सभी अधिकारी अब तक यही कह रहे थे कि गोली अराजक तत्वों द्वारा चलाई गई थी। किसान लगातार इस दावे को खारिज कर रहे थे।
शिवराज ने तोड़ा अनशन
राज्य में एक जून से 10 जून तक चले किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में 6 लोगों की मौत के बाद सूबे में शांति के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद 10 जून को उपवास पर बैठ गए थे। जिसके बाद अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठे शिवराज सिंह चौहान ने एक दिन बाद 11 जून को उपवास तोड़ दिया।
10 दिन तक चला आंदोलन
बता दें कि मध्यप्रदेश में किसानों ने 1 जून को शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। कर्ज माफी और अपनी फसल के वाजिब दाम की मांग को लेकर किसानों ने हड़ताल शुरू कर दी। किसानों ने पश्चिमी मध्य प्रदेश में अपनी तरह के पहले आंदोलन की शुरूआत करते हुए अनाज, दूध और फल-सब्जियों की आपूर्ति रोक दी। सोशल मीडिया के जरिए शुरू हुआ किसानों का आंदोलन 10 दिन चला था।
किसानों की प्रमुख मांगे
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू की जाएं।
- किसानों को फसलों का उचित दाम मिले और समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए।
- आलू, प्याज सहित सभी प्रकार की फसलों का समर्थन मूल्य घोषित किया जाए।
- आलू, प्याज की कीमत 1500 रुपये प्रति क्वंटल हो।
- बिजली की बढ़ी हुई दरें सरकार जल्द से जल्द वापस लें।
- आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जाएं।
- मंडी शुल्क वापस लिया जाए।
- फसलीय कृषि कर्ज की सीमा 10 लाख रुपए की जाए।
- वसूली की समय-सीमा नवंबर और मई की जाए।
- किसानों की कर्ज माफी हो।
- मध्यप्रदेश में दूध उत्पादक किसानों को 52 रुपये प्रति लीटर दूध का भाव तय हो।
MP मे करैरा विधानसभा से काँग्रेस विधायक शकुंतला खटीक, कार्यकर्ताओ को थाने मे आग लगाने हेतु उकसाते हुए।
यही है काँग्रेस का असली चरित्र। pic.twitter.com/EkCXtdOFev
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) June 9, 2017