मध्य प्रदेश में फसलों के वाजिब दाम सहित अन्य मांगों को लेकर चल रहा किसानों का आंदोलन बुधवार (7 जून) को और हिंसक हो गया। मंदसौर में मंगलवार(6 जून) को फायरिंग में 5 किसानों की मौत से गुस्साए किसानों ने 100 से ज्यादा वाहनों में तोड़फोड़ और आगजनी की। वहीं, पुलिस गोलीबारी और किसानों के मुद्दों पर केंद्र ने राज्य सरकार से पूरी घटना की जानकारी मांगी है।साथ ही मंदसौर हिंसा की आग अब कई अन्य जिलों में फैलती जा रही है। मंदसौर और दूसरे कई जिलों में किसानों का आंदोलन उग्र होने की वजह से हिंसक घटनाएं बढ़ रही हैं। बुधवार को गुस्साएं प्रदर्शनकारियों ने मंदसौर, देवास, नीमच, धार और इंदौर सहित कई हिस्सों में लूटपाट, आगजनी, तोड़फोड़ और पथराव किया। साथ गुरुवार को प्रदर्शनकारियों ने मंदसौर में एक टोल प्लाजा में तोड़फोड़ की और वहां रखे 8-10 रुपये लूट लिए।
Madhya Pradesh Farmers' Protest: Toll plaza vandalised in #Mandsaur, Rs. 8-10 lakhs looted. pic.twitter.com/LW15R0k8QO
— ANI (@ANI_news) June 8, 2017
वहीं, गुरुवार(8 जून) को मध्य प्रदेश सरकार ने आखिरकार मान लिया कि मंदसौर में भड़के किसान आंदोलन में पांच लोगों की मौत पुलिस की गोली से ही हुई थी। राज्य के गृहमंत्री ने स्वीकारा कि किसानों पर पुलिस ने ही गोली चलाई थी।
गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पांच किसानों की मौत पुलिस की गोलीबारी में हुई है। जांच में इसकी पुष्टि हुई है।
Death of the 5 farmers was due to Police firing. It has been established in probe: MP HM Bhupendra Singh #Mandsaur pic.twitter.com/71p2LHp6Qx
— ANI (@ANI_news) June 8, 2017
बता दें कि इससे पहले इससे पहले पिछले दो दिनों से प्रदेश सरकार पुलिस फायरिंग से इनकार कर रही थी। भूपेंद्र सिंह समते राज्य सरकार के सभी अधिकारी अब तक यही कह रहे थे कि गोली अराजक तत्वों द्वारा चलाई गई थी। किसान लगातार इस दावे को खारिज कर रहे थे।
इस बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज मंदसौर के किसानों से मुलाकात करने जा रहे हैं। वह अपनी सुरक्षा को चकमा देकर बाइक पर सवार होकर निकल गए हैं। जहां, वह आंदोलन कर रहे किसानों से मुलाकात करेंगे, साथ ही पुलिस फायरिंग में मारे गए किसानों के पीड़ित परिवारों से भी मिलेंगे।
DM-SP का ट्रांसफर
DM के साथ मारपीट
इस बीच मंदसौर में किसानों को समझाने के लिए पहुंचे डीएम स्वतंत्र कुमार पर भी किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। फायरिंग से नाराज किसानों ने उनके साथ धक्का-मुक्की की। जिसके बाद किसी तरह कुछ किसानों ने जिलाधिकारी को वहां से निकाल कर उनकी कार में बैठाया और उन्हें रवाना किया।
Madhya Pradesh: Protesting farmers got into a scuffled with #Mandsaur collector and SP for delay in their visit, demand presence of MP CM. pic.twitter.com/H6Q9W2kWIi
— ANI (@ANI_news) June 7, 2017
साथ ही किसानों की नाराजगी को देखते हुए DM के अलावा SP सहित सभी आलाधिकारी वहां से भाग खड़े हुए। किसानों ने कलेक्टर के कपड़े तक फाड़ दिए और उनके साथ मारपीट की। साथ ही पत्रकारों से भी मारपीट की गई। इसके अलावा उग्र किसानों ने सैकड़ों वाहनों में आग लगा दी।
मंदसौर में कर्फ्यू और इंटरनेट सेवाएं बंद
मंदसौर जिला कलेक्टर ने बताया कि हालात बेकाबू देख मंदसौर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है। वहीं अफवाहों को रोकने के लिए जिले में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। मंदसौर, रतलाम और उज्जैन में इंटरनेट सेवा पूरी तरह बंद कर दी गई है। साथ ही बल्क मैसेज करने पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
एक करोड़ मुआवजा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। सीएम ने जान गंवाने वालों के परिजनों को एक करोड़ रुपये सहायता और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की है। वहीं, घायलों को 10-10 लाख रुपये और मुफ्त इलाज की बात कही है।
किसानों के साथ युद्ध कर रही है सरकार
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा है। राहुल ने ट्वीट कर कहा, ‘भाजपा सरकार देश के किसानों के साथ ‘युद्ध’ जैसी स्थिति में है। भाजपा के ‘न्यू इंडिया’ में अपना हक मांगने पर अन्नदाताओं को गोली मिलती है।’
इसके अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शिवराज सरकार को किसानों का हत्यारा बताते हुए जमकर निशाना साधा है। केजरीवाल ने ट्वीट किया, मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार किसानों की हत्यारी है। देश भर के किसान चुप नहीं रहेंगे। पूरा देश किसानों के साथ है।
1 जून आंदोलन कर रहे हैं किसान
बता दें कि मध्यप्रदेश में किसानों ने गुरुवार(1 जून) को शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कर्ज माफी और अपनी फसल के वाजिब दाम की मांग को लेकर किसानों की हड़ताल अभी भी जारी है। किसानों ने पश्चिमी मध्य प्रदेश में अपनी तरह के पहले आंदोलन की शुरूआत करते हुए अनाज, दूध और फल-सब्जियों की आपूर्ति रोक दी है। सोशल मीडिया के जरिए शुरू हुआ किसानों का आंदोलन 10 दिन तक चलेगा।
किसानों की प्रमुख मांगे
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू की जाएं।
- किसानों को फसलों का उचित दाम मिले और समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए।
- आलू, प्याज सहित सभी प्रकार की फसलों का समर्थन मूल्य घोषित किया जाए।
- आलू, प्याज की कीमत 1500 रुपये प्रति क्वंटल हो।
- बिजली की बढ़ी हुई दरें सरकार जल्द से जल्द वापस लें।
- आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जाएं।
- मंडी शुल्क वापस लिया जाए।
- फसलीय कृषि कर्ज की सीमा 10 लाख रुपए की जाए।
- वसूली की समय-सीमा नवंबर और मई की जाए।
- किसानों की कर्ज माफी हो।
- मध्यप्रदेश में दूध उत्पादक किसानों को 52 रुपये प्रति लीटर दूध का भाव तय हो।