दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरूल इस्लाम खान ने सोशल मीडिया में की गई अपनी एक विवादित टिप्पणी के लिए शुक्रवार को माफी मांग ली। खान ने कहा कि देश जब एक आपात स्थिति का सामना कर रहा है तो उस समय उनकी ओर से किया गया एक ट्वीट ‘गलत समय पर’ था और ‘असंवेदनशील’ था। बता दें कि, जफरूल इस्लाम गत मंगलवार को अपने उस ट्वीट को लेकर विवादों में घिर गए थे जिसमें उन्होंने देश में मुसलमानों के कथित उत्पीड़न का दावा किया था।
उन्होंने बयान जारी कर कहा, “मेरा इरादा गलत नहीं था।” जफरुल इस्लाम ने कहा, “28 अप्रैल, 2020 को मेरे द्वारा जारी किए गए ट्वीट में उत्तर-पूर्वी जिले की हिंसा के संदर्भ में कुवैत को भारतीय मुसलमानों के उत्पीड़न पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद दिया गया, कुछ लोगों को इससे पीड़ा हुई, जो कभी भी मेरा उद्देश्य नहीं था।” उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह अहसास हुआ कि जब देश चिकित्सीय आपातकाल की स्थिति का सामना कर रहा है और एक अदृश्य शत्रु से लड़ रहा है तो ऐसे में मेरा ट्वीट गलत समय पर और असंवेदनशील था। मैं उन सभी लोगों से माफी मांगता हूं जिनकी भावनाएं आहत हुई हैं।’’
खान ने आगे कहा, “मैंने मीडिया के एक हिस्से को गंभीरता से लिया है जिसने मेरे ट्वीट को विकृत कर दिया और मुझे उन चीजों के लिए जिम्मेदार ठहराया जो मैंने कभी नहीं कहा। जरूरत पड़ी तो आगे कानूनी कदम उठाए जाएंगे।” उन्होंने इस बयान में अपने सभी दोस्तों का धन्यवाद भी किया और कहा कि अपने सभी दोस्तों और शुभचिंतकों को धन्यवाद देता हूं जो इस कठिन समय के दौरान एकजुटता से मेरे साथ खड़े रहे और मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि हमारे संस्थानों के भीतर और हमारे संविधान के ढांचे के भीतर कट्टरता और नफरत की राजनीति के खिलाफ हमारा संघर्ष जारी रहेगा।”
बता दें कि, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख ने 28 अप्रैल के अपने ट्वीट में कुवैत को भारतीय मुसलमानों के साथ खड़ा रहने को लेकर धन्यवाद दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया के एक धड़े ने उनके ट्वीट को तोड़-मरोड़कर पेश किया। खान के मुताबिक, उन्होंने एक चैनल को कानूनी नोटिस भी भेजा है। गौरतलब है कि, इस मुद्दे पर दिल्ली भाजपा के विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल से भेंट की थी और खान को पद से हटाने की मांग की थी। (इंपुट: आईएएनएस और भाषा के साथ)