दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को साल 2006 में झारखंड में डुमरी कोयला ब्लॉक के आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित मामले में बजरंग इस्पात प्राइवेट लिमिटेड, उसके निदेशक और अन्य अधिकारी को आरोपमुक्त कर दिया।
बचाव पक्ष के वकील डी के दुबे ने बताया कि विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने कंपनी, उसके निदेशक रमेश कुमार अग्रवाल और अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता अनिल जैन को सभी आरोपों से मुक्त करते हुए कहा कि उनके खिलाफ मामला चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है। आरोपियों की ओर से पेश हुए दुबे ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक षडयंत्र के आरोप साबित नहीं होते जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, बजरंग इस्पात प्राइवेट लिमिटेड को 2006 में झारखंड में डुमरी कोयला ब्लॉक का आवंटन किया गया लेकिन इसके बाद में कंपनी का एक अन्य कंपनी टीपी साओ एंड सन्स के साथ विलय कर दिया गया।