जानिए क्यों, आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने हटाया अपना सरनेम ‘मार्लेना’

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी (आप) ने सोमवार को ऐलान किया कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली की सात सीटों में से आतिशी मार्लेना पूर्वी दिल्ली सीट पर उसकी उम्मीदवार होंगी।

फाइल फोटो: आतिशी

अपने नाम का ऐलान होने के बाद आतिशी ने लक्ष्मी नगर मेट्रो स्टेशन के पास विकास मार्ग पर स्थित पार्टी के नए दफ्तर का उद्घाटन किया, जहां से वह अपने कामकाज का संचालन करेंगी। बता दें कि आतिशी दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार रह चुकी हैं। वहीं, अब आतिशी मार्लेना ने अपना नाम बदलकर केवल आतिशी कर लिया है। यही नही आतिशी मार्लेना का ट्विटर हैंडल जो पहले @Atishimarlena हुआ करता था अब बदलकर @AtishiAAP हो गया है।

आप सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, ‘पार्टी को कभी आतिशी मार्लेना के उपनाम में कोई समस्या नहीं लगी लेकिन जबसे उनको पूर्वी दिल्ली सीट का प्रभारी बनाया गया तबसे बीजपी ने ये अफ़वाह उड़ानी शुरू कर दी कि आतिशी एक ईसाई हैं जबकि आतिशी मूल रूप से पंजाबी राजपूत परिवार से हैं। इसलिए पार्टी ने आतिशी से निवेदन किया कि कृपया प्रचार सामग्री से अपने उपनाम ‘मार्लेना’ हटा लें’।

रिपोर्ट के मुताबिक, प्रचार के लिए लग रहे या बन रहे किसी भी पोस्टर, होर्डिंग, पैम्फलेट में अब केवल आतिशी ही लिखा जा रहा है। पार्टी ने अपनी वेबसाइट पर भी आतिशी ही लिखना शुरू कर दिया। आतिशी के पिता विजय सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे और कम्यूनिस्ट विचारधारा से प्रभावित थे इसलिए मार्क्स और लेनिन से बनने वाले शब्द ‘मार्लेना’ को आतिशी ने स्कूल के समय में अपने नाम के साथ जोड़ा था।

पार्टी ने एक स्पष्टीकरण प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मार्लेना उसका उपनाम कभी नहीं था। आप नेता अक्षय मराठे ने ट्वीट करते हुए लिखा, “वह हमेशा अतीशी रही है। मार्लेना एक दिया गया नाम था, जबकि उसका उपनाम सिंह है।”

बता दें कि आतिशी पहली उम्मीदवार हैं जिनके नाम का ऐलान आप ने 2019 में होने वाले संसदीय चुनाव के लिए किया है। आतिशी ने जुलाई 2015 से 17 अप्रैल 2018 तक सलाहकार की भूमिका निभाई। आतिशी मार्लेना का नाम दिल्ली के सरकारी स्कूलों की स्थिति और शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के मामले में लिया जाता है। 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी घोषणापत्र तैयार करने वालों में वह भी शामिल थीं।

गौरतलब है कि अगले साल देश में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और इसके लिए सभी राजनीतिक पार्टियां अभी से ही अपनी कमर कसने लग गई है। बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली की सातों सीटें जीती थीं और कांग्रेस व आप खाता तक नहीं खोल सकी थीं।

 

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