मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान 80 साल की एक बुजुर्ग महिला को बेरहमी से पीटने का मामला सामने आया है। कथित तौर पर बुजुर्ग महिला कमलाबाई लगाया है कि कुछ पुलिसकर्मियों ने उनके घर में घुसकर उन पर जमकर लाठियां बरसाना शुरू कर दिया जिसमें उनका एक हाथ भी टूट गया है।
photo- जनसत्तानवभारत टाइम्स की ख़बर के मुताबिक, कमलाबाई ने कहा ‘उन्होंने मुझे पथराव करने वालों को घर में छुपाने का आरोप लगाया और मुझे और मेरे पति की पिटाई की।’ महिला के मुताबिक, घऱ में जबरन घुस आई पुलिस कह रही थी, ‘बु्ड्ढी पथराव करवा रही है, आग लगवा रही है।’ उनके पोते को पुलिस गिरफ्तार कर ले गई है। वहीं इस बुजुर्ग जोड़े ने कहा, ‘मेरे परिवार के किसी सदस्य ने पथराव नहीं किया।’
कमलाबाई का कहना है कि उनका इस प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं था। उनके शरीर पर पुलिसिया जुल्म के निशान अब भी दिखाई दे रहे हैं। महिला का कहना है कि उनके परिवार के किसी सदस्य ने पुलिस पर पथराव नही किया उसके बावजूद हमें बुरी तरह से क्यों पीटा गया। पिटाई में कमलाबाई और उनके पति को गंभीर चोटें आई हैं।
बुजुर्ग महिला के अनुसार शनिवार (10 जून) को जब वह भोपाल के गांधी मैदान में उपवास कर रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने पहुंची तो उन्हें अधिकारियों ने सीएम तक पहुंचने भी नहीं दिया। उनकी मांग है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान दोषी पुलिसवालों के खिलाफ सख्त कदम उठाएं ताकि उन्हें न्याय मिल सके। बुजुर्ग महिला फंदा कला के पास सिहोर गांव की रहने वाली हैं, यह गांव हाईवे के किनारे ही बसा हुआ है। इस घटना के बाद से ही वहां के लोगों में खासी नाराज़गी है।
गौरतलब है कि, मध्यप्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन के दसवें दिन शनिवार(10 जून) को भोपाल के दशहरा मैदान में ‘शांति बहाली के लिये’ अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार(11 जून) को उपवास तोड़ दिया था। बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें जूस पिलाकर उपवास तुड़वाया।
बता दें कि राज्य के मंदसौर में मंगलवार(6 जून) को किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में छह किसानों की मौत हो गई थी और कई अन्य किसान घायल हो गये थे। इसके बाद किसान भड़क गये और किसान आंदोलन समूचे मध्य प्रदेश में फैल गया तथा और हिंसक हो गया था।
शिवराज सरकार का ‘यू-टर्न’
वहीं, गुरुवार(8 जून) को मध्य प्रदेश सरकार ने आखिरकार मान लिया कि मंदसौर में भड़के किसान आंदोलन में पांच लोगों की मौत पुलिस की गोली से ही हुई थी। राज्य के गृहमंत्री ने स्वीकारा कि किसानों पर पुलिस ने ही गोली चलाई थी।
गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पांच किसानों की मौत पुलिस की गोलीबारी में हुई है। जांच में इसकी पुष्टि हुई है।
बता दें कि इससे पहले इससे पहले पिछले दो दिनों से प्रदेश सरकार पुलिस फायरिंग से इनकार कर रही थी। भूपेंद्र सिंह समते राज्य सरकार के सभी अधिकारी अब तक यही कह रहे थे कि गोली अराजक तत्वों द्वारा चलाई गई थी। किसान लगातार इस दावे को खारिज कर रहे थे।