उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने मंगलवार को विवादास्पद चार धाम देवस्थानम बोर्ड विधेयक को वापस लेने की घोषणा कर दी। मुख्यमंत्री ने देहरादून में समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए यह घोषणा की।
धामी ने ट्विटर पर लिखा, “देव स्थान हमारे लिए सर्वोपरि रहे हैं। आस्था के इन केन्द्रों में सदियों से चली आ रही परम्परागत व्यवस्था का हम सम्मान करते हैं, गहन विचार-विमर्श और सर्वराय के बाद हमारी सरकार ने देवस्थानम् बोर्ड अधिनियम वापस लेने का निर्णय लिया है। ”
देव स्थान हमारे लिए सर्वोपरि रहे हैं। आस्था के इन केन्द्रों में सदियों से चली आ रही परम्परागत व्यवस्था का हम सम्मान करते हैं, गहन विचार-विमर्श और सर्वराय के बाद हमारी सरकार ने देवस्थानम् बोर्ड अधिनियम वापस लेने का निर्णय लिया है। @narendramodi@JPNadda@BJP4UK pic.twitter.com/yREo6XHEzb
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 30, 2021
उन्होंने आगे कहा, “इस विषय पर अपने सुझाव व्यक्त करने के लिए सभी तीर्थ पुरोहितों, हमारे विद्वान पण्डितों, हक-हकूकधारियों और चारधाम से जुड़े सभी वर्गों का आभार प्रकट करता हूँ।”
राज्य सरकार ने दिसंबर 2019 में विधानसभा में उत्तराखंड चार धाम तीर्थ प्रबंधन विधेयक, 2019 को पास कर दिया था। विधान सभा के अंदर और बहार इस विधेयक का काफी विरोध हुआ था। इस बिल का विरोध करने वालों में धार धाम के प्रोहोत भी शामिल थे।
कांग्रेस पार्टी ने भी इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा था कि भाजपा धर्म विरोधी पार्टी है।
विधेयक का उद्देश्य बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के चार धामों और 49 अन्य मंदिरों को प्रस्तावित तीर्थ बोर्ड के दायरे में लाना था।
अगले साल उत्तराखंड में विधान सभा के चुनाव होने वाले हैं। हार के डर से भाजपा नेतृत्व पहले ही दो मर्तबा मुख्यमंत्री बदल चूका है। अब ऐसे में चरों धामों के पुरोहितों का गुस्सा भाजपा के लिए घातक साबित हो सकता था। इस लिए मुख्यमंत्री ने आज विधेयक को वापस लेने की घोषणा कर दी।
इस से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी। मोदी ने ये घोषणा राष्ट्र के नाम सन्देश में किया था। इसे मोदी के कमज़ोर होने की नशानी बताया गया था।
दरअसल हालिया उपचुनाव में भाजपा को बड़ी शिकस्त का सामना करना पड़ा था और इसे अपने गढ़ हिमाचल प्रदेश में तीनों विधान सभा सीटों और एक लोक सभा की सीट पर हार का सामना करना पड़ा था।