देश भर में जारी किसान आंदोलन के बीच केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने सोमवार को कहा कि अगर विरोध प्रदर्शन के डर से केंद्र सरकार संसद द्वारा पारित कानूनों को वापस लेने लगी तो संसदीय लोकतंत्र और संविधान “खतरे में पड़ जाएगा।”
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के अध्यक्ष आठवले ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा दो सौ से ज्यादा सीटें जीत कर सरकार बनाएगी। दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन से संबंधित सवाल पूछे जाने पर आठवले ने कहा कि किसानों की मांग “गैरकानूनी” है।
उन्होंने कहा, “कानून को संसद द्वारा बहुमत से पारित किया गया है। अगर इस प्रकार के कानून लोगों के विरोध प्रदर्शन के चलते वापस ले लिए जाएंगे तो सदन से पारित होने वाले हर कानून के लिए यह परिपाटी बन जाएगी, जिससे संविधान और संसदीय लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।”
आठवले ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सुझाए गए समझौते के फार्मूले को किसानों को मान लेना चाहिए। उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश में किसानों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि नए कृषि कानूनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य और कृषि उत्पाद विपणन समितियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।”
मंत्री ने कहा कि किसानों के पास कृषि कानूनों पर सरकार से सवाल पूछने का अधिकार है। उन्होंने कहा, “लेकिन इस मामले में (वर्तमान में जारी आंदोलन), मुझे लगता है कि किसानों को भड़काया और भ्रमित किया जा रहा है।” उन्होंने कहा, “किसान, ठंड के इस मौसम में 25 दिन से सड़क पर बैठे हैं। उन्हें विरोध प्रदर्शन वापस लेना चाहिए और समझौते के फार्मूले को मान लेना चाहिए। सरकार बातचीत के लिए तैयार है।”
गौरतलब है कि, मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन को लगभग हर तरफ से समर्थन मिल रहा है। विरोध कर रहे किसानों के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार विपक्ष के साथ-साथ अपनी सहयोगी पार्टियों के भी निशाने पर आ गई है। कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अंदरूनी इलाकों से आए हजारों किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे हुए हैं। किसानों की मांग है कि, सरकार इन कृषि कानूनों को वापस लें।