VIDEO: अब हक के लिए आवाज उठाने वाले जेलों में बंद हैं, पत्रकारों को भी खामोश किया जा रहा है: नसीरुद्दीन शाह

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बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह अपने एक बयान को लेकर एक बार फिर से मीडिया की सुर्खियों में आ गए है। नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि जिस तरह से धर्म के नाम पर नफरत की दीवार खड़ी की जा रही है, वह किसी के लिए भी अच्छा नहीं है।

नसीरुद्दीन शाह

दरअसल, एमनेस्टी इंडिया की तरफ से एक वीडियो ट्वीट किया गया है। जिसमें नसीरुद्दीन शाह अभिव्यकित की आजादी की बात कर रहे हैं। एमनेस्टी के 2 मिनट से ज्यादा के इस वीडियो में नसीरुद्दीन शाह कह रहे हैं, ‘ऐन-ए हिंद (कानून) 26 नवंबर 1949 को लागू हुआ था, शुरू में ही इसके उसूल को स्पष्ट कर दिए गए। जिसका मकसद देश के हर शहरी को सामाजिक, आर्थिक और सियासी इंसाफ देना था। जहां लोगों को सोचने, बोलने और अपनी मर्जी से किसी भी धर्म को मानने की आजादी है। हर इंसान को बराबर समझा जाए और हर इंसान के जान और माल की इज्जत की जाए।’

नसीरुद्दीन शाह आगे कहते है, ‘हमारे मुल्क में जो लोग गरीबों के घरों, जमीनों और रोजगार को तबाह होने से बचाने की कोशिश करते हैं, जिम्मेदारियों के साथ-साथ हुकूक की बात करते हैं, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं, तो वो दरअसल हमारे उसी कानून की रखवाली कर रहे होते हैं। लेकिन अब हक के लिए आवाज उठाने वाले जेलों में बंद हैं। कलाकार, फनकार, शायर सब के कामों पर रोक लगाई जा रही है, पत्रकारों को भी खामोश किया जा रहा है। मजहब के नाम पर नफरतों की दीवारें खड़ी की जा रही है, मासूमों का कत्ल हो रहा है। पूरे मुल्क में नफरत और जुल्म का बेखौफ नाच जारी है।’

नसीरुद्दीन शाह ने आगे कहा, ‘जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने वालों के दफ्तरों पर रेड डालकर लाइसेंस रद्द कर, बैंक अकाउंट फ्रीज कर, उन्हें खामोश किया जा रहा है। ताकि वो सच न बोलने से बाज आ जाए। क्या हमारे संविधान की यही मंजिल है? क्या हमने ऐसे ही मुल्क के ख्याब देखे थे? जहां विरोध की कोई आवाज न हो? जहां सिर्फ अमीर और ताकतवर की आवाज सुनी जाए और गरीबों और कमजोरों को हमेशा कुचला जाए, जहां कानून था उधर अब अंधेरा है।’

नसीरुद्दीन शाह और उनके बयानों को लेकर अब ऐक्टर इमरान हाशमी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक अभिनेता इमरान हाशमी ने कहा, ‘अभी मैं जो महसूस कर रहा हूं वह कह रहा हूं। मेरा मानना है कि हमारे देश में हर किसी को अपने विचार रखने की आजादी है। मुझे जारी विवाद के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए मैं इस मुद्दे पर ज़्यादा कुछ नहीं कह सकता।’

वहीं शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि भारत में मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है। भारत में लोकतंत्र है। मैं नसीरुद्दीन शाह जी का सम्मान करता हूं, वह एक महान कलाकार हैं, वह जो कहना चाहते हैं वही कह रहे हैं।’

गौरतलब है कि अभी कुछ दिन पहले बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने हाल ही में भीड़ द्वारा की गई हिंसा का परोक्ष हवाला देते हुए कहा था कि एक गाय की मौत को एक पुलिस अधिकारी की हत्या से ज्यादा तवज्जो दी जा रही है। साथ ही अभिनेता ने कहा था कि जहर पहले ही फैल चुका है और अब इसे रोक पाना मुश्किल होगा। इस जिन्न को वापस बोतल में बंद करना मुश्किल होगा। जो कानून को अपने हाथों में ले रहे हैं, उन्हें खुली छूट दे दे गई है।

नसीरुद्दीन शाह ने आगे कहा था कि मुझे डर लगता है कि किसी दिन गुस्साई भीड़ मेरे बच्चों को घेर सकती है और पूछ सकती है, तुम हिंदू हो या मुसलमान? इस पर मेरे बच्चों के पास कोई जवाब नहीं होगा। क्योंकि मैंने मेरे बच्चों को मजहबी तालीम नहीं दी है। अच्छाई और बुराई का मजहब से कोई लेना-देना नहीं है।नसीरुद्दीन शाह के इस बयान के बाद कई संगठनों ने उनका विरोध जाताया था।

नसीरुद्दीन शाह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी के समर्थन में हमेशा खड़े दिखाई देने वाले मशहूर अभिनेता अनुपम खेर ने कहा था कि, ‘देश में इतनी आजादी है कि सेना को अपशब्द कहे जा सकते हैं, एयर चीफ की बुराई की जा सकती है और सैनिकों पर पथराव किया जा सकता है। आपको इस देश में और कितनी आजादी चाहिए? उन्हें (नसीरुद्दीन शाह) जो कहना था वह कह दिया, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जो कहा वह सच है।’

वहीं, पतंजलि आयुर्वेद कंपनी के संस्थापक और योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा था कि, ‘नसीरुद्दीन शाह को आम आदमी से मिले प्यार के चलते प्रसिद्धि मिली है। मुझे कहीं कोई सांप्रदायिक असहिष्णुता नहीं दिखाई देती, वास्तव में मुझे राजनीतिक असहिष्णुता दिखती है। मेरा मानना है कि भारत पर सांप्रदायिक असहिष्णु होने का आरोप लगाना देश का स्वाभिमान गिराने के बराबर है।’

उन्होंने कहा कि ऐसा कोई देश नहीं जहां कोई आतंरिक हिंसा और असहिष्णुता नहीं है लेकिन कोई भी अपने देश पर आरोप नहीं लगाता। उन्होंने कहा, ‘अपने ही देश पर सांप्रदायिक असहिष्णुता का आरोप लगाना अपमानजनक, कृतघ्न और देशद्रोह के बराबर है।’

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