दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी(AAP) के अयोग्य घोषित किए जा चुके 20 विधायकों में एक नाम कैलाश गहलोत का भी है, जो इस समय दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री है। अयोग्य ठहराये जा चुके परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को विधानसभा सत्र में भाग लेने से रोकने के लिए दिल्ली के भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के विधायक मंगलवार(20 मार्च) को उच्च न्यायालय पहुंचे।
न्यूज़ एजेंसी भाषा की ख़बर के मुताबिक, याचिका में गहलोत के मंत्री पद पर बने रहने को चुनौती दी गई है। इस मामले का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की पीठ के समक्ष उल्लेख किया गया। पीठ ने मामले को कल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। बता दें कि, दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र 16 मार्च को शुरू हुआ और यह 28 मार्च तक चलेगा।
गौरतलब है कि, चुनाव आयोग ने 19 जनवरी को लाभ के पद पर आसीन रहने के कारण आप के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी। चुनाव आयोग की इस सिफारिश को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी। विधायकों ने खुद को अयोग्य घोषित किये जाने के फैसले को चुनौती दी है, जिस पर फैसला आना बाकी है।
बीजेपी के चार विधायकों विजेन्द्र गुप्ता, ओपी शर्मा, जगदीश प्रधान और मनजिंदर सिंह सिरसा की तरफ से अधिवक्ता बालेंदु शेखर और नीरज कुमार ने याचिका का उल्लेख किया। विधायकों ने अपनी याचिका में गहलोत को सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने की अनुमति देने के लिए विधानसभा अध्यक्ष की ओर से बताई गई वजहों पर भी सवाल उठाया है।
याचिका में कहा गया है कि गहलोत को सदन में बैठने की अनुमति देने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला संविधान और1991 के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध है।
उन्होंने कहा कि एक बार किसी विधायक को चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य ठहरा दिया जाता है तो वह किसी भी परिस्थिति में पद पर नहीं बना रह सकता है। विधायकों ने बजट सत्र के पहले दिन सदन में गहलोत की मौजूदगी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।