मध्य प्रदेश के इंदौर में पिछले हफ्ते बगैर इजाजत गरबा देखने गई सात छात्राओं को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के छात्रावास प्रशासन ने रात भर हॉस्टल से बाहर रहने की सजा दी। इतना ही नहीं अब इन लडकियों को हॉस्टल के कमरे खाली कर डॉर्मिटोरी में जाने का फरमान सुना दिया गया है, जिसपर अब विवाद शुरु हो गया है।
न्यूज़ एजेंसी भाषा की ख़बर के मुताबिक, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति नरेंद्र धाकड ने कहा कि सभी सात छात्राओं को हॉस्टल के कमरे छोड कर डॉर्मिटोरी (बडा कमरा जहां कई लोगों के सोने की व्यवस्था होती है) में जाना होगा। हॉस्टल में रहने वाले दूसरे विश्वविद्यालयीन विद्यार्थियों को अनुशासन का सन्देश देने के लिए इन लडकियों को सजा देनी जरूरी है।
ख़बरों के मुताबिक, विश्वविद्यालय सूत्रों ने बताया कि सातों लडकियां हॉस्टल प्रशासन की इजाजत लिए बगैर 28 सितंबर को गरबा देखने गई थीं और रात 11.30 बजे के आस-पास लौटी थीं। सजा के तौर पर उन्हें हॉस्टल में रात भर प्रवेश नहीं दिया गया था।
लडकियों को रात भर हॉस्टल से बाहर रखे जाने के चलते उनकी सुरक्षा खतरे में पड सकती थी। इस बारे में पूछे जाने पर कुलपति ने कहा कि लडकियां हॉस्टल प्रशासन को बताए बगैर गरबा देखने गईं और देर रात लौटीं थीं। तब उन्हें अपनी सुरक्षा का ख्याल क्यों नहीं आया।
हॉस्टल प्रशासन की विवादास्पद सजा झेलने वाली सातों लड़कियों की ओर से फिलहाल मीडिया में कोई बयान सामने नहीं आया है। लेकिन इस बीच, विद्यार्थी संगठनों ने मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन लडकियों के साथ अन्याय कर रहा है।
पहले तो उन्हें रात भर हॉस्टल से बाहर रखा गया और अब उन्हें दोहरी सजा सुनाते हुए अपने कमरे खाली करने को कह दिया गया है। हम लडकियों के साथ इस तरह का बर्ताव कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।
बता दें कि पिछले दिनों ही बीएचयू में छात्राओं के छेड़छाड़ को लेकर काफी विवाद हुआ था। कथित छेड़खानी के विरोध में 23 सितंबर की रात कुलपति आवास के पास पहुंचे छात्र और छात्राओं पर विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मियों और पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था। जिसमें कुछ छात्र घायल हो गए थे, इसका देश भर में भारी विरोध हुआ था।