‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ का निकला दम, 20 लाख लोगों को ट्रेनिंग लेकर भी नहीं मिला रोजगार

0

PM मोदी के युवाओं को रोजगार देने के वादे की हकीकत भी अब लोगों के सामने आ गई है। इस कदम में PM मोदी का भावी प्लान ‘प्रधानमंत्री की कौशल विकास योजना’ अपना दम तोड़ती नजर आ रही है। ट्रेनिंग लेने के बावजूद 20 लाख को कोई रोजगार ही नहीं मिला। जबकि ट्रेनिंग से स्पष्ट हो रहा है कि यह बिल्कुल अपर्याप्त और अधूरी है जिसके दम पर कोई रोजगार मिल ही नहीं सकता।

प्रधानमंत्री समेत BJP ने इस ‘प्रधानमंत्री की कौशल विकास योजना’ को भारत से बेरोजगारों की भीड़़ को कम करने वाली बताया था। इसके लिए मोदी सरकार ने साल 2014 में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय का गठन किया था। जबकि बाद में तब के मंत्रालय प्रमुख राजीव प्रताप रूडी के अनुसार मंत्रालय का काम नौकरी दिलाना नहीं था बल्कि लोगों को नौकरी लायक बनाना था।लेकिन मोदी सरकार ने भारी फेरबदल के तहत राजीप प्रताप रूडी को मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद इस मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को दिया।

युवाओं को रोजगार देने के मामले में अब सरकार का रुख साफ होता नज़र आ रहा है। ‘प्रधानमंत्री की कौशल विकास योजना’ अपने लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम साबित हुई है। जुलाई 2017 के पहले हफ्ते तक जो आंकड़े आए है उससे पता चल जाता है कि सरकार इस मोर्च पर कितनी कामयाब हुई है। योजना के तहत जिन 30.67 लाख लोगों को कौशल प्रशिक्षण दिया गया था उनमें से 2.9 लाख लोगों को ही नौकरी के प्रस्ताव मिले। जबकि देशभर में बेरोजगारों की भारी भीड़ चारो तरफ दिखाई देती हैं। 30.67 लाख युवाओं में से केवल 2.9 युवाओं को नौकरी का प्रस्ताव बताता है कि योजना के तहत प्रशिक्षण पाने वालों में 10 प्रतिशत से भी कम को नौकरी का प्रस्ताव मिला जिससे पता चलता है कि मोदी सरकार का इस योजना के परिणाम का लक्ष्य न सिर्फ अधूरा रहा बल्कि पूरी तरह से फेल रहा।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस पर रोशनी डालते हुए बताया कि यह योजना रोजगार देने के मामले में सभी सवालों का जवाब नहीं हो सकती। आप थोड़े समय में गुणवत्ता और लोकेशन जैसी चीजें सुनिश्चित नहीं कर सकते। जबकी इस योजना की दूसरी तस्वीर और भी भयानक है। योजना चलाने वाले सेंटर आज हताशा के दौर से गुजर रहे है। लोगों का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की बातों में आकर इन सेंन्टर्स को डाला और अपनी सारी पंूजी लगा दी लेकिन उनको इससे कुछ नहीं मिला।

एनडीटीवी की खबर के अनुसार, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत नेशनल स्किल डेवपलमेंट काउंसिल को नोडल एजेंसी बनाया गया है। यह एजेंसी ऐसे सेंटर को मान्यता देती है जो उसके बताए हुए पैमाने पर स्‍थापित किए जाते हैं। इन सेंटर्स को तैयार करने में कई लाख रुपये की लागत लग जाती है। इन्हें फ्रेंचाइज़ी सेंटर कहा जाता है। अब NSDC ने फैसला किया है कि फ्रेंचाइज़ी सेंटर को ट्रेनिंग देने के बदले पैसे नहीं दिए जाएंगे और न ही यहां ट्रेनिंग लेने वालों को प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

दिल्ली के बुराड़ी में रहने वाले हरदेव अरोड़ा ने इसी साल जनवरी में इस योजना का हिस्सा बनने के लिए अपनी सारी पूंजी लगा दी। पत्नी के गहने तक गिरवी रख दिए और 16 लाख रुपये की लागत से ब्यूटीशियन का कोर्स कराने के लिए सेंटर बनाया। NSDC के अधिकारियों ने उनके सेंटर को पास भी कर दिया, लेकिन नए नियमों के मुताबिक फ्रेंचाइज़ी सेंटर्स को अब काम नहीं मिलेगा। हरदेव अरोड़ा परेशान हैं कि वो क्या करें, कहां जाएं?

मोदी सरकार का स्टाइल रहा है कि वह अपनी योजनाओं में फेल हो जाने के बाद दूसरे तरह के तर्क देने शुरू कर देती है। नोटबंदी फेल होने के बाद सरकार का तर्क आया था कि यह कालेधन पर लगाम लगाने के लिए थी ही नहीं और इसके बाद मंथन का दौर शुरू हो जाता है। इसी प्रकार अब पीएमवाई के असफल परिणाम सामने आने पर सरकार ने इस पर मंथन शुरू कर दिया है।

अच्छे नतीजे सामने न आने पर सरकार और अधिकारी इस बात को समझ चुके है कि वह युवाओं को रोजगार देने में नाकाम साबित हो रहे है। सुधार की गुंजाइशों पर बात करते हुए एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी कहते है कि अब इस योजना में राज्य की पहले से ज्यादा भागीदारी पर जोर दिया जाएगा। जिलाधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। उनका काम जिला स्तर पर कौशल विकास प्रशिक्षण दिलाना और उसकी निगरानी करना होगा।

इस योजना के शुरू होने पर सरकार यह बात समझ ही नहीं सकी कि जिन लोगों को सेंटर दिए गए है उन्होंने अपना खुद का रोजगार तो इस तरह के संेटर खोल कर शुरू कर दिया लेकिन वह लोगों को रोजगार करने लायक बनाने में सक्षम नहीं है। सरकार के पास इन लोगों की गुणवत्ता जांचने का कोई पैमाना सामने ही नहीं आया। अगर ट्रेनिंग लिए हुए युवाओं से उनके कौशल के बारें में बात कि जाए तो उनका ज्ञान शून्य ही निकलेगा तभी अच्छे परिणाम सामने नहीं आ पाएं।

यूटयूब पर ऐसे कितने ही वीडियो मिल जाएगें जो इन प्रक्षिशण संस्थानों में दी जा रही ट्रेनिंग को दिखाते है। वहां PM मोदी के बड़े-बड़े फोटो तो दिखाई देते है लेकिन ज्ञान की बात पर केवल बेरोजगारों की भीड़ का मजमा ही दिखाई देता है इन सभी कक्षाओं में। जबकि इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि कौशल विकास के तहत मिलने वाले प्रशिक्षण की गुणवत्ता कई बार बाजार की जरूरत के अनुरूप नहीं होती।

अभी देश का राष्ट्रीय मीडिया इस योजना की असफलता की कहानी दिखाने के प्रति सजग नहीं हुआ है वर्ना 1200 करोड़ रुपये की इस बंदरबांट की पोल खुलने में देर नहीं लगती?

Previous articleपूर्व विदेश मंत्री के दामाद और ‘कैफे कॉफी डे’ के संस्‍थापक के 20 से ज्‍यादा ठिकानों पर आयकर विभाग का छापा
Next articleYogi’s police books Muslim friend, after BJP leader slaps girl for having tea with him