किसी ने ठीक ही कहा है कि ‘समय बड़ा बलवान’, जब आपका समय ठीक चल रहा होता है तो, अगर आप मिट्टी को भी हाथ लगाएं तो वो सोना हो जाती है और जब समय खराब चल रहा हो तो आप सोने को भी हाथ लगाओ तो वो मिट्टी हो जाता है। एक समय था जब भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी पार्टी की धुरी थे। उनके आगे-पीछे बीजेपी नेताओं का जमावड़ा लगा रहता था।
फोटो: मनीष झा के फेसबुक वॉल सेआज भले ही भारतीय जनता पार्टी का देश भर में बोलबाला है, लेकिन पार्टी इस मुकाम पर खड़ा करने में आडवाणी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। बावजूद इसके अब हालत बदल चुके हैं। बीजेपी का ये पितामह अब शायद बिल्कुल अकेले हो चुके हैं। जी हां, आडवाणी मंगलवार(18 जुलाई) को उपराष्ट्रपति के लिए वेंकैया नायडू के नामांकन के बाद संसद भवन में बेबस होकर अकेले घूमते हुए दिखाई दिए।
दरअसल, वेंकैया नायडू जब नामांकन के लिए संसद भवन पहुंचे थे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत बीजेपी के दूसरे बड़े नेता और कैबिनेट मंत्री मौजूद थे। नामांकन के बाद सभी साथ में बाहर निकले। वेंकैया नायडू मीडिया से मिलने निकल गए। मगर आडवाणी संसद के गेट नंबर 4 पर अकेले खड़े दिखे।
पहले तो आडवाणी गेट नंबर 4 पर अकेले बेबस खड़े रहे, जहां पर अक्सर सांसद और नेता अपनी गाड़ियों का इंतजार करते हैं। कुछ देर वहां इंतजार करने के बाद फिर आडवाणी गेट नंबर चार पर बने मीडिया स्टैंड पर मीडियाकर्मियों के बीच जाकर बैठ गए। आडवाणी को अपने बीच इस स्थिति में पाकर सभी पत्रकार हैरान रह गए। जिसके बाद आडवाणी उनके बीच जाकर आराम से बेंच पर बैठ गए।
अक्सर सुरक्षा घेरे के बीच गाड़ियों के काफिले में संसद भवन पहुंचने वाले लालकृष्ण आडवाणी का गेट नंबर चार पर अकेले खड़े रहना, सबको हैरान कर रहा था। कुछ देर के लिए तो किसी को कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर आडवाणी आज मीडिया स्टैंड पर मीडियाकर्मियों के बीच आकर अचानक बिना किसी सुरक्षा के अकेले कैसे आकर बैठ गए। बाद में वह गेट नंबर 1 की तरफ चल दिए। कुछ देर इंतजार करने के बाद उनका काफिला वहां पहुंचा, जिसके बाद वह वहां से निकल गए।
पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर दी जानकारी
इस बात का खुलासा तब हुआ जब संसद की रिपोर्टिंग करने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनीष झा ने अपने फेसबुक वॉल पर इस बारे में जानकारी दी। मनीष झा ने लिखा, ‘आज पहली बार आडवाणी जी को अपनी गाड़ी के लिए संसद परिसर में भटकते हुए देखा। अमूमन वो गेट नंबर 6 से अपने सुरक्षा के तामझाम के साथ आते-जाते है। लेकिन आज पता नही क्या और कैसे हुआ!’
उन्होंने आगे लिखा, ‘मैं पार्लियामेंट की लाइब्रेरी बिल्डिंग से वेंकैया नायडू की प्रेस कॉन्फ्रेंस से निकल रहा था। उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल करने के बाद वेंकैया नायडू मीडिया वालों से मिलने आये थे। मेरी नजर संसद के गेट नंबर 4 पर पड़ी। आडवाणी जी को कई रिपोर्टर और कैमरामैन घेरे हुए थे। तेज धूप थी और वो अपनी गाड़ी ढूंढ रहे थे।’
मनीष झा ने आगे लिखा, ‘देरी होता देख मीडिया वालों ने उन्हें गेट नंबर 4 के सामने बने मीडिया वाली जगह पर आने का न्योता दिया। वो अंदर आकर बेंच पर बैठ गए। थोड़ी देर बाद वहां से उठे और पैदल ही गेट नंबर 1 की और चल पड़े।भीषण गर्मी में वो लगभग 100-150 मीटर चलकर गेट नंबर 1 पर आकर खड़े हो गए। आंखे अपनी गाड़ी के इंतजार में सामने देखती रहीं। आखिरकार उनके जाने की व्यवस्था हो गयी।’