उपराष्ट्रपति का बिना नाम लिए मोदी सरकार पर हमला, बोले- नागरिकों के अधिकारों को खतरे में डाल सकता है मीडिया पर हमला

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वरिष्ठ पत्रकार और निजी न्यूज चैनल NDTV के सह-संस्थापक और कार्यकारी सह-अध्यक्ष प्रणय रॉय के आवास और कार्यालयों पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा छापेमारी को लेकर जारी घमासान के बीच उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने बिना नाम लिए मोदी सरकार पर हमला बोला है।

फाइल फोटो।

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में सोमवार(12 जून) को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ नेशनल हेराल्ड के स्मारक संस्करण के विमोचन के दौरान अपने भाषण में अंसारी ने कहा कि लोकतंत्र व समाज को स्वतंत्र प्रेस की जरूरत होती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रेस ने लोगों को शिक्षित, संतुष्ट तथा संगठित करने में अहम भूमिका निभाई है।

साथ ही उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक खुले समाज के लिए स्वतंत्र मीडिया जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र प्रेस पर कोई भी हमला नागरिकों के अधिकारों खतरे में डाल सकता है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे जैसे खुले सुमाज के लिए हमें एक जिम्मेदार प्रेस की जरूरत होती है, ताकि जो सत्ता में हैं उनकी जवाबदेही तय की जा सके।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब मीडिया को किसी ‘अन्यायपूर्ण प्रतिबंध’ और ‘किसी हमले की धमकी’ का सामना करना पड़ता है तो मीडिया में आत्म नियंत्रण की स्थिति और भी खराब हो सकती है। अंसारी ने कहा कि एक संवैधानिक व्यवस्था के तहत ही मीडिया में सीमित हस्तेक्षेप किया जा सकता है, लेकिन वह भी देश के लोगों के हित में होना चाहिए।

उन्होंने कहा संविधान की आड़ लेकर सूचनाओं के स्वतंत्र बहाव को नहीं रोका जा सकता है। नागरिकों के अधिकारों की हिफाजत के लिए यह जरूरी है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भारतीय पत्रकारों से गहराई से जुड़ा है, जो न केवल समाचार प्रदाता थे, बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता तथा स्वतंत्रता सेनानी भी थे।

गौरतलब है कि दिल्ली स्थित एनडीटीवी के कार्यालयों एवं परिसरों पर हालिया सीबीआई छापे के बाद मोदी सरकार आलोचना के घेरे में आ गई थी। कई पत्रकारों ने इस घटना को प्रेस की आजादी पर कुठाराघात बताया था। प्रणय रॉय के आवास और कार्यालयों पर सीबीआई की छापेमारी के बाद प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में NDTV के समर्थन में सैकड़ों पत्रकारों का जमावाड़ा लगा। प्रेस की आजादी को खतरें में बताते हुए पत्रकारों ने इसे बोलने की आजादी पर हमला बताया था।

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