शर्मसार: योगी राज में गरीबों को नही मिल रही एंबुलेंस, कंधे पर लादकर बच्ची के शव को ले जाना पड़ा घर

0

भारत भले ही हेल्थ टूरिज्म का सेंटर बनता जा रहा हो और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही हो। लेकिन सच यही है कि हमारे यहां स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमीं है। भारत के अलग-अगल राज्यों से हर रोज कोई न कोई ऐसी तस्वीर सामने आ ही जाती है, जिसे देखकर हमें शर्मसार होना पड़ता है। जिसका ताजा मामला यूपी के कौशांबी से सामने आया है। जहां पर एक शख्स को अपनी भांजी की लाश को मजबूरन कंधे पर लादकर साइकिल से करीब 10 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ा।

photo- दैनिक भास्कर

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया है कि जब सरकारी अस्पताल से एंबुलेंस मांगी गई तो उन्होंने 800 रुपए मांगे। मामला सिराथू तहसील के मलाकसद्दी गांव का है। यहां के रहने वाले अनंत कुमार की 7 माह की बेटी पूनम को बीते सोमवार की सुबह अचानक उल्टी दस्त होने लगी। उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।

मामले के तूल पकड़ने पर डीएम मनीष कुमार वर्मा ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। वहीं बच्ची के पिता का कहना है कि जब वो अस्पताल में मौजूद एंबुलेंस चालक के पास गया तो उसने मुझसे 800 रुपए मांगे, 800 रुपए न होने की बात कहने पर वो शव को ले जाने को राजी नहीं हुआ।

एक हाथ से साइकिल की हैंडिल पकड़ी और करीब दस किलोमीटर साइकिल चलाता हुआ गांव पहुंच गया। मामला प्रकाश में आने के बाद जिला प्रशासन संज्ञान लेते हुए आनन-फानन डीएम ने सीएमओ डा.एसके उपाध्याय को ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर व एंबुलेंस चालक पर मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए है।

बता दें कि सोमवार (1 मई) को यूपी के इटावा में एक पिता को कथित तौर पर अस्पताल से एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण उसे अपने 13 वर्षीय बेटे को कंधे पर लादकर लेकर जाना पड़ा। विक्रमपुर गांव के रहने वाले उदयवीर अपने 14 वर्षीय बेटे पुष्पेंद्र का इलाज कराने के लिए जिला अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही पुष्पेंद्र ने दम तोड़ दिया था। फिर भी पिता के अस्पताल पहुंचने पर डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।

आरोप है कि शव को ले जाने के लिए इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर के साथ फार्मासिस्ट और वार्ड व्बॉय ने पीड़ित की कोई मदद नहीं की थी, जिसके कारण उदयवीर को बेटे का शव अपने कंधे पर लादकर ले जाना पड़ा था। उन्हें अस्पताल से न तो स्ट्रेचर की सुविधा मिली और न ही एंबुलेंस की।

योगी के राज में एक बाप के अपने बेटे की शव को कंधे पर ढोकर ले जाने की तस्वीर ने राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल दी है। साथ ही उदयवीर की इस बेबसी ने ओडिशा के दाना मांझी की तस्वीर याद दिला दी, जिन्होंने अस्पताल से कोई सुविधा नहीं मिलने बाद अपनी पत्नी के शव को अस्पताल से करीब 10 किलोमीटर तक कंधे पर ढोते हुए लेकर जाना पड़ा था।

Previous articleDMRC moves Supreme Court against Delhi HC order to pay Rs 60 crore to DAMEPL
Next articleउपराष्ट्रपति का बिना नाम लिए मोदी सरकार पर हमला, बोले- नागरिकों के अधिकारों को खतरे में डाल सकता है मीडिया पर हमला