मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन को लगभग हर तरफ से समर्थन मिल रहा है। विरोध कर रहे किसानों के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार विपक्ष के साथ-साथ अपनी सहयोगी पार्टियों के भी निशाने पर आ गई है। कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अंदरूनी इलाकों से आए हजारों किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे हुए हैं। किसानों की मांग है कि, सरकार इन कृषि कानूनों को वापस लें। इस बीच, ‘एनडीटीवी इंडिया’ के मशहूर एंकर और भारत के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने एक फेसबुक पोस्ट लिखा है, जो अब खूब वायरल हो रहीं है।
रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “भारत की राजनीति में ‘किसान’ शब्द का राजनीति और सामाजिक महत्व ख़त्म हो चुका है।भारत के किसान अपनी राजनीतिक समाप्ति का समापन समारोह देख रहे हैं। गाँवों में सांप्रदायिकता और जेब में दो हज़ार पहुँचा कर उनकी पहचान का टैग ज़ब्त कर लिया गया है। अब सरकार चाहे तो अपना किसान पैदा कर सकती है। दिल्ली हरियाणा सीमा पर जो किसान आंदोलन चल रहा है उसे छोटा करने के लिए सरकार अपना किसान सम्मेलन कर रही है।”
रवीश ने अपने पोस्ट में आगे लिखा, “आज प्रधानमंत्री मध्य प्रदेश के किसानों की जेब में पैसे पहुँचाएँगे। किसानों को उनके ही हक के पैसे से ख़रीदने का दृश्य किसानों के वजूद के मिटने का होगा। यह कितना भयानक है कि ठंड में किसान मर रहे हैं और प्रधानमंत्री दूसरे राज्यों के किसानों के खाते में पैसा ट्रांसफ़र कर रहे हैं। बताने के लिए कि अभी भी बहुत किसानों को पाँच हज़ार करोड़ पैसा ट्रांसफ़र कर क़ानून के पक्ष में सहमति ख़रीदी जा सकती है।”
NDTV के एंकर ने अपने पोस्ट में आगे कहा, “आज आंदोलन न होता तो ख़रीदने के ये कार्यक्रम भी न होते। किसान के पास भी किसान होने का स्वाभिमान नहीं रहा जैसे जनता के पास जनता होने का स्वाभिमान कब का नहीं रहा। मेरी ही बातें सच होंगी क्योंकि यही सच है।”
रवीश कुमार का यह फेसबुक पोस्ट अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, उनके इस पोस्ट पर यूजर्स भी जमकर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। इसके साथ ही उनके पोस्ट पर यूजर कमेंट करते हुए मोदी सरकार पर भी निशाना साध रहे हैं।
मध्य प्रदेश में शुक्रवार को आयोजित होने वाले किसान सम्मेलनों में खरीफ 2020 में हुए फसलों के नुकसान की 1600 करोड़ रुपये की राहत राशि राज्य के लगभग 35.50 लाख किसानों के खातों में डाली जाएगी।