सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा ग्राहकों के अपने बचत खातों में न्यूनतम राशि (मिनिमम बैलेंस) नहीं रखने पर अनुचित शुल्क वसूला जा रहा है। न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के प्रोफेसर ने एक अध्ययन के जरिये यह दावा किया है।
प्रोफेसर आशीष दास द्वारा किए गए अध्ययन में दावा किया गया है कि यस बैंक और इंडियन ओवरसीज जैसे कई बैंक ग्राहकों द्वारा अपने खातों में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर 100 प्रतिशत से अधिक का सालाना जुर्माना लगा रहे हैं। इस बारे में रिजर्व बैंक के स्पष्ट दिशानिर्देश हैं कि न्यूनतम शेष नहीं रखने पर ग्राहकों पर उचित जुर्माना ही लगाया जाना चाहिए।
अध्ययन में कहा गया है कि कई बैंक औसतन 78 प्रतिशत का वाषिर्क जुर्माना लगा रहे हैं। इससे उचित जुर्माने के सभी नियमन खोखले साबित हो रहे हैं। दास द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार खाते में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर इंडियन ओवरसीज बैंक 159.48 प्रतिशत का जुर्माना लगा रहा है। वहीं यस बैंक औसतन 112.8 प्रतिशत, एचडीएफसी बैंक 83.76 प्रतिशत तथा एक्सिस बैंक 82.2 प्रतिशत जुर्माना वसूल रहा है।
अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय स्टेट बैंक 24.96 प्रतिशत का जुर्माना लगा रहा है। विभिन्न बैंकों में न्यूनतम शेष राशि रखने की सीमा 2,500 रुपए से एक लाख रुपए तक है। अध्ययन में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने जुर्माना शुल्क ग्राहकों की दृष्टि से उचित तरीके से लगाने के नियमन बनाए हैं।
दास आईआईटी मुंबई के सांख्यिकी के प्रोफेसर हैं। प्रोफेसर आशीष दास ने कहा कि 159 फीसद तक जुर्माना इंडियन ओवरसीज बैंक वसूल रहा है। जबकि यस बैंक 113, एचडीएफसी 84 और एक्सिस बैंक लगा रहे 82 फीसद तक जुर्माना ले रहे हैं।