“आपके अपने राज्य गुजरात में दलितों पर हमले का क्या? ज़रा बताईये हमारे प्यारे प्रधान सेवक जी”

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यूनिख में हुए ‘‘भयंकर’’ हमले की आज निंदा करते हुए कहा कि वे मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं।

एक ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘‘म्यूनिख में हुए भयानक हमले से हम सकते में हैं। इस हमले में मारे गए और घायल हुए लोगों के साथ हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं हैं।’’ जर्मनी के म्यूनिख के एक मॉल में एक हथियारबंद व्यक्ति ने गोलीबारी की थी। इस हमले में नौ लोगों की मौत हो गई और 21 लोग घायल हैं।

मोदी के इस बयान का सोशल मीडिया में मज़ाक़ उड़ाया जा रहा है। अधिकतर लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने अबतक कश्मीर में जारी हिंसा और दलितों पर हो रहे अत्याचार पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन विदेशक की सरज़मीन पर होने वाली हिंसा की उन्हें बहुत चिंता है।

गौरतलब है कि कश्मीर की हिंसा में अब तक सत्तर से भी ज़्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं।

दलितों पर होने वाले अत्याचार के विरोध में मोदी के राज्य गुजरात में क़ानून व्यवस्था की स्थिति गम्भीर हो गई है।

पेश है कुछ प्रतिक्रिया:

एरिक कोएल्हो ने फेसबुक पर कहा, ” ऐसा लगता है वो अंतरराष्ट्रीय हमलों की निंदा बहुत जल्दी कर देते हैं. ऐसा क्यों है कि जब दलितों पर हमले होते हैं तो वो अपने गृहमंत्री को बयां देने केलिए कहते हैं।
ऐसा लगता है वो प्रधानमंत्री की ज़िम्मेदारी निभाने में असक्षम हैं।

स्टैनले वी एस एस : प्रधानमंत्री के पास दुनिया के विभिन्न हिस्सों में होने वाले आतंकी हमलों पर टिपण्णी करने केलिए समय है लेकिन उनके पास गौ रक्षकों द्वारा अपने नागरिकों पर हो रहे हमलों पर टिपण्णी केलिए समय नहीं है।

पक्कीरेश जी के : वह क्या बात है. ये हमारे देश के प्रधानमंत्री नहीं हो सकते। दुसरे देशों में होने वाले हमलों पर प्रितिक्रिया में इतनी जल्दी और आपके अपने राज्य गुजरात में दलितों पर हमले का क्या? ज़रा बताईये हमारे प्यारे प्रधान सेवक जी।

ग्रेगोरी फर्नांडीस : हे भगवान, ये कैसा प्रधानमंत्री है जो विदेशों में हमले की निंदा तो करता है लेकिन अपने देशवासियों पर होने वाले हमलों की निंदा करने केलिए इसके पास समय नहीं है

शहरयार अहमद : जर्मनी के दौरे का एक अच्छा मौका है