भारतीय संस्कृति विश्व भर में सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति है। अन्य देशों की संस्कृतियां तो समय की धारा के साथ-साथ बदलती रहती हैं, लेकिन भारत की संस्कृति आदि काल से ही अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है। भारत में विभिन्न धर्मों का पालन करने वाले लोग जैसे- मुख्यतः हिन्दू, मुसलमान, सिख और ईसाई धर्म के लोग एकता के साथ जीवन यापन करते हैं। सभी धर्मों का संदेश सिर्फ और सिर्फ शांति है। कोई भी धर्म नफरत और बैर नहीं सिखाता। लेकिन हमारे देश के कुछ राजनेताओं की वजह से कभी-कभी दो धर्मों के बीच खाई पैदा हो जाती है।
पिछले महीने उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक वीडियो वायरल हो गया था। वायरल वीडियो के मुताबिक संत कबीर की मजार पर पहुंचे सीएम योगी को जब मजार के संरक्षक ने टोपी पहनानी चाही तो उन्होंने साफ मना कर दिया था। इससे पहले साल 2011 में गुजरात के मुख्यमंत्री (वर्तमान प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी ने भी अपने तीन दिन के सद्भावना उपवास के दौरान एक मुस्लिम मौलाना की ओर से दी गई टोपी नहीं पहनी थी।
इस बीच सोशल मीडिया पर एक हिंदू महिला द्वारा अपनी बेटी को दिया हुआ एक जवाब काफी तेजी से वायरल हो रहा है। दरअसल एक छोटी सी बेटी ने अपनी मां से सवाल किया, “मुसलमान अपने सिर पर टोपी क्यों पहनते हैं?” महिला ने अपनी बेटी को इस सवाल को जो जवाब दिया है वह सांप्रदायिक सौहार्द के संदेश के रूप में देखा जा रहा है। महिला द्वारा आपसी भाईचारे का दिया गया संदेश का जिक्र करते हुए पूरे घटनाक्रम को एक अन्य युवती ने अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट की है। जो वायरल हो गया है।
मेघना अथवानी नाम की यूजर ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि कुछ महीने पहले वह उबर पूल के माध्यम से दिल्ली में यात्रा कर रही थी। वह पहले से ही कार में सवार थी, फिर अपनी छोटी बेटी के साथ एक युवा महिला भी उसके कैब में बैठ गई और अंत में करीब एक किलोमीटर बाद एक मुस्लिम आदमी आगे की सीट पर बैठ गया। वह आदमी अपनी पारंपरिक सफेद टोपी पहन रहा था।
इस दौरान अचानक महिला के साथ बैठी छोटी बच्ची ने अपनी मां से पूछा, “ये अंकल शाम को टोपी क्यों पहन रखे हैं? मुस्लिम आदमी ड्राइवर के साथ बातचीत कर रहा था, लेकिन बच्ची के इस सवाल ने कार में सवार सभी का ध्यान उसकी तरफ हो गया। मां ने जवाब देते हुए बच्ची से कहा कि वह भी तो मंदिर जाते समय सिर पर दुपट्टा पहनती है। या जब कुछ बड़े मेहमान हमारे घर आते हैं? या जब दादा-दादी का पैर छूना होता है? यह सम्मान की निशानी है।
लेकिन मां के जवाब से बच्ची आश्वस्त नहीं थी। वह एक और सवाल के साथ अपनी मां से पूछी, लेकिन यह भैया किसका सम्मान कर रहे हैं? यहां कोई मंदिर भी नहीं है। यह किसी के पैर भी नहीं छू रहे हैं। और ना ही इस कार में बैठा कोई शख्स उम्र में उनसे बड़ा है। तो यह किसके सम्मान में टोपी पहने हैं? बच्ची का सवाल सुनकर मां हैरान हो गई थी। फिर मां ने बच्ची को बहुत शांति से जवाब देते हुए कहा, “उनके माता-पिता ने उन्हें हर किसी को सम्मान देने के लिए सिखाया है। जैसे मैं आपको अतिथियों को नमस्ते कहना सिखाता हूं।”
मेघना अथवानी द्वारा किया गया यह पोस्ट फेसबुक पर वायरल हो गया है। खबर लिखे जाने तक इस पोस्ट को 800 से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका है, वहीं करीब 2000 लोगों इस पोस्ट को लाइक किया है।