लगतार बढ़ती धुंध को देखते हुए दिल्ली सरकार ने हवा में प्रदूषण के बढ़ते खतरनाक स्तर को देखते हुए प्राथमिक स्कूलों को बंद करने की घोषणा की। इसके बाद नोएडा के भी कई स्कूलों में इस तरह के आदेश का पालन करते हुए देखा गया। प्रेसिडियम स्कूल के अधिकारियों ने घोषणा की कि वह बुधवार को नोएडा के सभी स्कूलों को भी बंद कर रहा था। इसके अलावा बाद के दिनों में अन्य स्कूलों से भी इसी तरह के कदम उठाने की उम्मीद की जा रही है।
दिल्ली-एनसीआर सुबह से ही जहरीली धुंध की चादर में लिपटा हुआ है। धुंध के कारण सुबह के वक्त विजिबिलिटी लगभग 200 मीटर रही जिसकी वजह से दर्जनों ट्रेन और फ्लाइट्स देरी से चल रही हैं। वहीं केजरीवाल ने दिल्ली को गैस चेंबर करार दिया है। मौसम विश्लेषकों के अनुसार, पड़ोसी राज्यों में संयुक्त मौसम संबंधी कारकों और पयाली जलने से हुए प्रदूषण के कारण दिल्ली सबसे खराब ‘धुंध की स्थिति’ का सामना कर रही है।
‘वर्तमान में राजस्थान और हरियाणा से पश्चिमी हवाओं की गति नगण्य है, जिसके कारण हवा स्थानीय उत्सर्जन और पयाली जलाने से तैयार होने वाले प्रदूषक तत्व के साथ मिलकर सतह के निकट संघनित हो रही है। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी राजधानी के प्रदूषण को देखते हुए पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली से जवाब मांगा है कि वह पराली जलाने को लेकर क्या कार्रवाई कर रहे हैं। इसके अलावा हाईकोर्ट ने पाया कि समस्या बहुत गंभीर है।
लगातार खराब होती दिल्ली की हवा को देखते हुए सोशल मीडिया पर मौजूद लोगों ने उन सबको निशाने पर लेना शुरू कर दिया जिन्होंने पिछले दिनों पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मजाक उड़ाया था।
उन में सबसे अधिक उल्लेखनीय चेतन भगत रहे थे जिन्होंने साधारण पुस्तकें लिखकर प्रसिद्धि हासिल की है। वह हमेशा अपने तर्कहीन ट्वीट्स के लिए सुर्खियों में रहते हैं।
हिंदुत्व की राजनीति के एक समर्थक के तौर पर भी चेतन भगत ने अपना सांप्रदायिक दृष्टिकोण दिखाते हुए कई असाधारण प्रयास किए थे जिनमें लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डालने वाले उनके विचारों वाले ट्वीट्स भी शामिल थे। उन्होंने लिखा था कि- क्या मैं पटाखों पर बैन पर पूछ सकता हूं कि हिन्दुओं के त्योहारों के साथ ही ऐसा क्यों होता है? क्या बकरे काटने और मुहर्रम में खून बहाने पर रोक लगने जा रही है?
Banning crackers on Diwali is like banning Christmas trees on Christmas and goats on Bakr-Eid. Regulate. Don’t ban. Respect traditions.
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
साथ ही चेतन भगत ने लिखा कि, दिवाली में पटाखे बैन कर देना वैसा ही है जैसे क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री बैन कर दिया गया हो और बकरीद पर बकरों को बैन कर दिया गया हो। चीजें दुरुस्त कीजिए, लेकिन प्रतिबंध मत लगाइए। हमें अपनी परंपराओं का सम्मान करना चाहिए।
जैसी कि उम्मीद रही मंगलवार को, प्रदूषण के स्तर में और अधिक वृद्धि की खबर परेशान कर देने वाली थी और सोशल मीडिया पर यह एक प्रमुख मुद्दा बन गया। लोगों ने यहां चेतन भगत की निंदा करते हुए उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को भेदभाव से जोड़ने के लिए आलोचना का शिकार होना पड़ा। देखिए कुछ प्रमुख ट्वीट्स इस प्रकार से है।
https://twitter.com/abhayshakun/status/927831869827059714
https://twitter.com/ramanujya/status/927821377771409408
@chetan_bhagat sir come to Delhi for post Diwali celebrations. Now crackers r not banned
— Sweta Thakur (@GreenDiwalii) November 7, 2017
@chetan_bhagat hopefully, you can now comprehend the circumstantial evidence for banning crackers ! https://t.co/tTxFNDklKH
— Dr. Samir Vinchurkar (@samv1900) November 7, 2017
@chetan_bhagat hopefully, you can now comprehend the circumstantial evidence for banning crackers ! https://t.co/tTxFNDklKH
— Dr. Samir Vinchurkar (@samv1900) November 7, 2017
Have u noticed 1 thing Cracker promoters like @TajinderBagga @chetan_bhagat r outside india aftr converting delhi into GasChamber #DelhiSmog
— Sukriti Dhiman (@MyselfSukriti) November 7, 2017