सुप्रीम कोर्ट से हाल ही रिटायर हुए जस्टिस कुरियन जोसेफ ने 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर सनसनीखेज बयान दिया है। जस्टिस जोसेफ ने दावा किया है कि 12 जनवरी की सबसे विवादित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों के साथ मिलकर उन्होंने इसलिए हिस्सा लिया, क्योंकि उन्हें ऐसा महसूस हो रहा था कि तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को कोई बाहर से कंट्रोल कर रहा था। साथ ही जस्टिस कुरियन ने कहा कि उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का कोई खेद नहीं है।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए गए इंटरव्यू में जस्टिस कुरियन ने कई मुद्दों पर खुलकर बात की। इस दौरान उन्होंने अन्य जजों को केस आवंटित करने के मुद्दे पर भी सवाल उठाया। उन्होंने बताया कि जस्टिस दीपक मिश्रा के CJI बनने के बाद बाहरी प्रभाव होने के कई उदाहरण थे, जिसमें जजों की नियुक्ति से लेकर बेंच के मामले भी शामिल रहे।
यह पूछे जाने पर कि न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के मुख्य न्यायाधीश बनने के चार महीने के भीतर ऐसा क्या गलत हुआ, इस पर जस्टिस जोसेफ ने कहा, ‘संबंधित सुप्रीम कोर्ट के कामकाज पर बाहरी प्रभावों के कई उदाहरण थे, जिनमें चुनिंदा जजों और सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के नेतृत्व में बेंचों के मामलों का आवंटन तक शामिल था।’
उन्होंने कहा, ‘बाहर से कोई व्यक्ति CJI को नियंत्रित कर रहा था। हमें कुछ ऐसा ही महसूस हुआ, इसलिए हम उससे मिले, उससे पूछा और उससे सुप्रीम कोर्ट की आजादी और गौरव बनाए रखने के लिए कहा।’ यह पूछने पर कि क्या 12 जनवरी के प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का सबने मिलकर फैसला किया था? इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘जस्टिस चेलमेश्वर का यह आइडिया था लेकिन हम तीनों इससे सहमत थे।’
12 जनवरी को हुआ था ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फेंस
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के तीसरे वरिष्ठ न्यायाधीश कुरियन जोसफ साढ़े पांच वर्षों के कार्यकाल के बाद बृहस्पतिवार को सेवानिवृत्त हो गए। वह उन चार वरिष्ठ न्यायाधीशों में शामिल हैं जिन्होंने 12 जनवरी को ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार 12 जनवरी को हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस से पूरा देश स्तब्ध रह गया था।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर ने मामलों को ‘‘चुनिंदा’’ तरीके से आवंटित करने पर सवाल खड़े किए थे जिनमें सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बी एच लोया जैसे संवेदनशील मामले भी शामिल हैं। लोया की एक दिसम्बर 2014 को मौत हो गई थी। न्यायमूर्ति गोगोई वर्तमान में भारत के प्रधान न्यायाधीश हैं और न्यायमूर्ति चेलमेश्वर इस वर्ष जून में सेवानिवृत्त हो गए।
जस्टिस कुरियन ने तीन तलाक पर दिया था फैसला
बार नेताओं ने बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति जोसफ को विदाई दी और उन्हें हाल के वर्षों में सबसे ‘‘लोकप्रिय’’ न्यायाधीश करार दिया और कहा कि उनकी ‘‘मुस्कुराहट मधुर’’ है। नेताओं ने न्यायमूर्ति गोगोई से आग्रह किया कि उन्हीं की तरह मुस्कुराने वाले न्यायाधीश को उनकी जगह लाया जाए। न्यायमूर्ति जोसफ ने दो राहत अभियानों में काफी सक्रियता दिखाई।
इस वर्ष अगस्त में केरल में आई भीषण बाढ़ के बाद दिल्ली में वकीलों की तरफ से आयोजित अभियान में उन्होंने हिस्सा लिया। न्यायमूर्ति कूरियन जोसफ उस पांच सदस्यीय पीठ का भी हिस्सा थे जिसने दो के मुकाबले तीन के बहुमत से मुस्लिमों के बीच तीन तलाक को ‘‘निरर्थक’’, ‘‘अवैध’’ और ‘‘असंवैधानिक’’ करार दिया था।